सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर में हुआ था.
उनके पिता सरदार किशन सिंह तथा चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह पहले से ही अग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ आन्दोलन कर रहे थे.
भगत सिंह का नाम उनकी दादी ने 'भागां वाला' यानि अच्छे भाग्य वाला रखा क्यूंकि भगत के पैदा होने के दिन उनके पिता और चाचा जेल से छूटे थे. बाद में उन्हें भगत कहा जाने लगा.
इंटरमीडिएट परीक्षा पास होते ही उनके विवाह की बात होने लगी तो वे लाहौर से कानपुर आ गए.
कॉलेज में पढाई के दौरान वे देशप्रेम से पूर्ण नाटकों में अभिनय भी करते रहे.
8 अप्रैल 1929 को दिल्ली असेम्बली बमकाण्ड के वे प्रमुख अभियुक्त माने गये थे.
भगत सिंह हिन्दी,अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी आदि का ज्ञान रखते थे.
फांसी पर जाते समय उन्होंने ख़ुशी में गाया :
मेरा रंग दे बसन्ती चोला, मेरा रंग दे.
मेरा रंग दे बसन्ती चोला. माय रंग दे बसन्ती चोला.
23 वर्ष 5 माह और 23 दिन की आयु में 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी थी.
-समय पत्रिका.
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