सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 15 सितम्बर 1927 को हुआ था.
उनकी कविता ‘बतूता का जूता’ आज भी बाल साहित्य की अनमोल धरोहर है.
वर्षों तक रेडियो से जुड़ने के साथ-साथ साहित्य रचते रहे.
1974 में लिखे नाटक ‘बकरी’ का लगभग सभी हिदुस्तानी भाषाओं में अनुवाद हुआ.
कविता संग्रह ‘खूंटियों पर टंगे लोग’ के लिए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला.
मुख्य रचनायें :
पागल कुत्तों का मसीहा
खूंटियों पर टंगे लोग
कुछ रंग कुछ गंध
लड़ाई
कच्ची सड़क
काठ की घंटियां.
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के शब्दों में :
"लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो अपनी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पंथ प्यारे हैं."
निधन : 23 सितम्बर, 1983 को दिल्ली में निधन हुआ.
-समय पत्रिका.
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