दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले का आगाज हो चुका है. मेले में किताबों की दुनिया सज गयी है और किताबों के शौकीन आ रहे हैं. राजकमल प्रकाशन ने ‘किताबगंज’ बना दिया है.
विश्व पुस्तक मेले के पहले दिन राजकमल प्रकाशन के स्टाल पर यशस्वी कवि केदारनाथ सिंह ने अपनी पुस्तक प्रतिनिधि कवितायें में से कवितापाठ और पाठकों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कविताओं की दुनिया एक ऐसी दुनिया है जिसमें रंग, रोशनी, रूप, गंध, दृश्य एक दूसरे में खो जाते हैं, पर यही दुनिया है, जिसमें कविता का 'कमिटमेंट' खो जाता है. इसके बाद अनीता राकेश ने अपनी किताब 'अंतिम सतरें 'पर परिचर्चा और पाठकों से बातचीत की. अनीता राकेश पुस्तक के बारे बताती है कि इस पुस्तक में जितना अपने बीते समय का अवलोकन किया है उतने ही चित्र अपने वर्तमान से भी पस्तुत किये हैं. बीते दिनों की यादों में जहाँ राकेश के साथ ही कुछ झडपें उन्हें याद आती हैं, वहीँ राकेश के माताजी के साथ गुजरे अपने सबसे पूर्ण सबसे नम क्षणों को भी याद करती हैं .
राजकमल प्रकाशन एवं स्टोरीटेल हिंदी प्रकाशन जगत में पहली बार ऑडियो बुक हिंदी में लेकर आये हैं. इस पुस्तक मेले में आप किताबों को पढ़ने के साथ ही उन्हें सुन पाने का नायाब अनुभव ले सकते हैं. साथ ही 2000 से अधिक खरीद पर स्टोरीटेल पर राजकमल प्रकाशन के 50 से अधिक किताबों का एक महीने तक मुफ्त आनंद लिया जा सकता है.
एक सप्ताह तक चलने वाले विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन द्वारा 50 से अधिक किताबों का लोकार्पण होगा, जिनमें सुभाष चन्द्र कुशवाहा की नई किताब 'अवध का किसान विद्रोह', विवेक अग्रवाल की बॉम्बे की बार बालाओं की जिंदगी को वास्तविक ढंग से सामने ला रही किताब ‘बॉम्बे बार’, ज्यां द्रेज़ और अमर्त्य सेन की किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी : इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन’ का हिंदी अनुवाद ‘भारत और उसके विरोधाभास’, अजय सोडानी की हिमालय-यात्रा श्रृंखला की दूसरी किताब ‘दरकते हिमालय पर दरबदर’,लोकप्रिय उपन्यास ‘माई’ की मशहूर लेखिका गीतांजलि श्री का नया उपन्यास ‘रेत समाधि’, रामशरण जोशी की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा ‘मैं बोनसाइ अपने समय का’ और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘कलिकथा वाया बायपास’ की विख्यात लेखिका अलका सरावगी का एक और दिलचस्प उपन्यास ‘एक सच्ची-झूठी गाथा’ भी पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगा.
इनके अतिरिक्त राष्ट्रवाद के तीखे मुद्दे पर, जेएनयू में हुए तेरह व्याख्यानों का संकलन रविकांत द्वारा सम्पादित किताब ‘आज के आईने में राष्ट्रवाद’ नाम से आएगा. शिवरतन थानवी का डायरी संकलन ‘जग दर्शन का मेला’ एक सजग शिक्षक के नजरिये से शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्यबोध और व्यावहारिक समस्याओं से परिचय कराती है. शंखघोष की गूढ़ कवितायेँ ‘मेघ जैसा मनुष्य’, ज्ञान चतुर्वेदी का मार्मिक उपन्यास ‘पागलखाना’, शीतांशु की गहन शोध के बाद लिखी गई किताब ‘कम्पनी राज और हिंदी’ भी पुस्तक मेले में लोकार्पित होंगी.
राजकमल प्रकाशन ‘विश्व पुस्तक मेले में किताबों का क़स्बा :
किताबगंज 14 जनवरी 2018 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान हॉल नंबर 12A स्टॉल नम्बर 247 से268 में मौजूद है. राजकमल के इस खूबसूरत कस्बे में आप किस्सों-कहानियों, यादों-तरानों के साथ किताबों की बस्ती के कुछ ख़ास बाशिंदों से भी मिल पाएंगे. जहाँ पर्यावरण और जलवायु को ध्यान में रखते हुए पुरानी और नयी चीजों को संजोया गया है.
स्टाल के मुख्य आकर्षण :
किताबों पर विशेष छूट (थीम के हिसाब से पर्यावरण की सभी किताबों पर विशेष 25% छूट दी जा रही है. साथ ही कुछ चुनिन्दा किताबों पर एक के साथ एक फ्री किताब भी दी जा रही है). स्टाल में कुछ बेहतरीन सेल्फी पॉइंट का भी इंतजाम किया है, जहाँ आप अपनी और अपने दोस्तों की यादगार सेल्फी ले सकते हैं).
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