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पुस्तक के लेखक प्रेम भरद्वाज ने कहा कि वे वही लिखते हैं, जो महसूस करते हैं. |
परिचर्चा में अग्रणी विचारक पुरुषोतम अग्रवाल, लेखिका अल्पना मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम एवं आलोचक संजीव कुमार शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन साहित्यिक पत्रिका ‘’पाखी’’ के संस्थापक अपूर्व जोशी द्वारा किया गया। वक्ताओं ने किताब के शिल्प और समसामयिक मुद्दों से इसके जुड़ाव पर बात की जिसमें उनकी कहानी कहने की शैली और समाज की तल्ख़ सच्चाई को कहानियों में पिरोने के तरीकों पर बात हुई।
फोटो अंकल कहानी संग्रह की कहानियों में अवसाद, समाज के अँधेरे को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किये गए ‘मेटाफर’ का सहारा लिया गया है। तमाम उदासी और अवसाद के बावजूद इन्हें ‘उम्मीद की कहानियाँ’ मानना चाहिए। बचपन और मृत्यु की चेतना के इर्द-गिर्द घूमने वाली ये कहानियाँ ज़िन्दगी का उदास सच हैं। किताब की मुख्य कहानी फोटो अंकल भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित है।
अग्रणी विचारक एवं लेखक पुरुषोतम अग्रवाल ने कहा कि भाषा की सीमाओं और मुहावरों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जिस तरह की कहानियाँ प्रेम भारद्वाज ने लिखी हैं, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने हम सभी के जीवन में गहरे तक पैठ कर चुके सोशल मीडिया की सच्चाई को जिस तरह अपनी कहानी में उघाड़ा, ऐसी ईमानदारी हमें अपने लेखन में निश्चित तौर पर बरतनी होगी।
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने कहा कि इस कहानी संग्रह में कमाल की भाषा और शब्दों का प्रयोग दर्शाता है कि लेखक की भाषा पर पकड़ अद्भुत है। इस पुस्तक के जरिये वे पाठकों को काफी जानकारी भी देते हैं। साथ ही देश-विदेश के मशहूर फोटोग्राफर, फिल्म-स्टार आदि का वर्णन इस पुस्तक में है। इससे लेखक की जानकारी और रिसर्च से रश्क भी हो सकता है, और पाठक चमत्कृत तो होता ही है।
आलोचक संजीव कुमार ने कहा कि ‘फिज़ा में फैज़’, ‘कसम उस्ताद की’ जैसी कहानियाँ इस कहानी संग्रह के मास्टर पीस हैं। इसके इतर कहानी के कहन पर देखा जाये तो ये कहानियाँ समसामयिक मुहावरों में कहीं उलझकर रह जाती हैं जिसमें भाषाई स्तर पर और काम किया जा सकता है।
लेखिका अल्पना मिश्र ने पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस कहानी संग्रह के ज्यादातर कहानियों से मृत्युबोध का आभास होता है। आज के युग में विकास के साथ पैदा होती विषमता, बर्बरता के नए रूपों को भी बखूबी से दर्शाता है यह कहानी संग्रह।
अपूर्व जोशी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रेम भारद्वाज शब्दों के बाजीगर हैं। फोटो अंकल कहानी संग्रह में उन्होंने शब्दों से बड़ी अच्छी तरह से खेला है।
फोटो अंकल पुस्तक के लेखक प्रेम भरद्वाज ने कहा कि इन कहानियों को लिखते समय एक बैचेनी थी जो इन कहानियों में भली-भांति झलकती है। उन्होंने कहा -'मैं वही लिखता हूँ जो महसूस करता हूँ।'