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'जिगरी दुश्मन' के बारे में अभय दुबे ने कहा कि यह दार्शनिक किताब है. |
प्रख्यात समाजविज्ञानी अभय कुमार दुबे ने डॉ. आशिस नंदी की पुस्तक ‘जिगरी दुश्मन’ की पृष्ठभूमि पर बात करते हुए बताया कि यह पुस्तक उपनिवेशवाद के साये में समाज की स्थिति को उजागर करती है। इस संवाद में अभय कुमार दुबे के साथ राकेश तिवारी जी संचालक के रूप में रहे।
राकेश तिवारी ने अभय कुमार दुबे से समाज में मौजूद ऊँच-नीच, असहिष्णुता को हम किस रूप में देखते हैं, जैसे प्रश्न किये। उत्तर में अभय दुबे ने कहा कि अंग्रेजों के आने से ही समाज ऐसे उपाय निकाल सका जिनके द्वारा वह अपनी समस्याओं से निदान पा सके। यह न केवल गुलाम बनाता था बल्कि गुलामी से निकलना भी सिखाता है।
'जिगरी दुश्मन' के बारे में अभय दुबे ने कहा कि यह दार्शनिक किताब है। इसमें मनोवैज्ञानिक हथियारों का सहारा लिया गया है। जब दास या मालिक में चुनाव करना होगा तो हमें उसे चुनना होगा जो दीन है। उन्होंने कहा कि यह किताब पढ़ने के बाद आपको ये पता लगेगा कि भारतीय समाज की समस्याओं की बुनियाद कहाँ से उपजी। यह किताब एक आईना है जिसके द्वारा समाज को समझा जा सकता है।
~समय पत्रिका.