![]() |
मनोज मुंतशिर ने 'मेरी फितरत है मस्ताना' की कुछ पंक्तियाँ पढ़कर सुनायीं. |
चर्चा की शुरुआत में मनोज मुंतशिर ने कहा कि यदि किताबों को लेखक की जरूरत है तो उससे ज़्यादा जरूरत प्रकाशक की और वो भी सही प्रकाशक की है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल से लिखना भी ज़रूरी था। साथ ही कहा कि माहौल में गरमी होना ज़रूरी है।
मनोज मुंतशिर की किताब को क्लिक कर यहां से खरीदें >>
उन्होंने पुस्तक (मेरी फितरत है मस्ताना) की कुछ पंक्तियाँ पढ़कर सुनायीं। मनोज मुंतशिर ने किताब लिखने की तीन वजह बतायीं। उन्होंने कहा कि मैंने जो भी लिखा, दिल से लिखा है।
उन्होंने कहा -'प्यार में सिर्फ दो तरह के हादसे होते हैं...' एक, जिसे हम चाहें, वो हमें ना मिले, और दूसरा, जिसे हम चाहें वो हमें मिल जाये।
अदिति माहेश्वरी ने कहा -'अपने आइने में किताब को देखते हैं।' मनोज मुंतशिर ने इस पर कहा -'पूरी किताब ही ऐसी नज्मों से भरी पड़ी है। शायरी का ज़माना हमेशा से है... जादू उनके साथ ही होता है जिनको जादू में विश्वास होता है।'
'मेरी फितरत है मस्ताना' बैस्ट सैलर किताब है।
~समय पत्रिका.