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चर्चा में लेखक संजीव और वरिष्ठ पत्रकार राकेश तिवारी ने शामिल रहे. |
राकेश तिवारी ने किताब का परिचय देते हुये कहा कि संजीव जी का ‘प्रत्यंचा’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है। संजीव से राकेश तिवारी ने प्रश्न किया कि ‘प्रत्यंचा’ लिखने की जरूरत क्यों महसूस हुई, व इसकी पृष्ठभूमि जानना चाहूँगा? संजीव जी का कहना था कि ये ख्याली पुलाव नहीं है, ये ज़मीनी सच है। उन्होंने शाहूजी के जीवन के बारे में बताते हुए ‘प्रत्यंचा’ उपन्यास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘बिना पढ़े आप नहीं जान सकते कि मुझे उपन्यास लिखने की आवश्यकता क्योंकि महसूस हुई। लेखक संजीव ने शाहूजी के बारे में कहा कि उस समाज में कई लोग ऐसे थे जो शिक्षा को प्रतिबंधित कर रहे थे।
~समय पत्रिका.