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प्रभाकर सिंह की पुस्तक रामकथा की समृद्ध परम्परा का विवेचन विश्लेषण है. |
प्रभाकर सिंह की किताब 'भारतीय भाषाओं में रामकथा' वस्तुतः रामकथा की समृद्ध परम्परा का विवेचन विश्लेषण है। यह संस्कृत में लिखी रामकथाओं पर एकाग्र है जिन्हें संस्कृत के विद्वानों ने लिखा है। प्रो. गोपेश्वर सिंह ने राम के लोक मन की बात की तो डॉ.प्रभाकर सिंह ने ‘फ़ादर कामिल बुल्के' के राम का स्मरण करते हुए राम के सांस्कृतिक रूप की चर्चा की। उन्होंने डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी के अवदान की विशेष चर्चा की।
वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि राम का व्यक्तित्व इस प्रकार है कि उसमें सब कुछ समाहित हो जाता है क्योंकि वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
~समय पत्रिका.