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‘दर्पण अभी काँच ही था’ एवं ‘नयी सुबह तक’ कविता संग्रह हैं. |
इस अवसर पर लेखिका तेजी ग्रोवर ने कहा कि वे शमशेर जी से प्रभावित रहीं हैं। तेजी ग्रोवर की कविताएँ पृथ्वी से लेकर आकाश तक अपने अनूठे बिम्बों में प्रकृति और पर्यावरण का एक नया पाठ उन्हें बचाने के लिए रचती हैं। तेजी ग्रोवर की ऐंद्रिक मानवीय गरिमा का सशक्त उदहारण है उनका यह संग्रह इस अवसर पर उन्होंने अपनी कविताओं का पाठन भी किया।

'नयी सुबह तक' में शिव रमन सूक्ष्म मनोभावों को बड़े ही खूबसूरत तरीके से कागज़ पर उतारते हैं। कवि की दृष्टि-सम्पन्नता तथा समाज के प्रति रचनाकार का उत्तरदायित्व-बोध कविताओं की मूल-सम्वेदना तथा सरोकार बन कर उभरा है।
इस अवसर पर अरुण महेश्वरी, लीलाधर मंडलोई, अदिति महेश्वरी आदि मौजूद रहे।
~समय पत्रिका.