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विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2016 में की गयी थी. |
पंजाब में जन्मी तेजी ग्रोवर के पाँच कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबन्ध संग्रह और आधुनिक नोर्वीजी, स्वीडी, फ्रांसीसी साहित्य से तेरह पुस्तकाकार अनुवाद प्रकाशित हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं –नीला (उपन्यास), अन्त की कुछ और कविताएँ, लो कहा सांबरी, दर्पण अभी काँच ही था (कविता संग्रह), घास ढँकी पगडण्डियाँ, बर्फ़ की ख़ुशबू (स्वीडी कविताएँ), दस समकालीन नोर्वीजी कहानियाँ तथा नीलाघर और दूसरी यात्राएँ। अभी तक चित्रों की सात एकल और तीन समूह प्रदर्शनियाँ देश-विदेश में आयोजित की जा चुकी हैं। तेजी ग्रोवर को भारत भूषण कविता पुरस्कार, रज़ा अवार्ड और वरिष्ठ कलाकारों हेतु राष्ट्रीय सांस्कृतिक फ़ेलोशिप प्राप्त है। उनकी कविताएँ देश-विदेश की तेरह भाषाओँ में और ‘नीला’ शीर्षक से एक उपन्यास और कुछ कहानियाँ पोलिश और अंग्रेजी में अनूदित हो चुकी हैं।
वाणी प्रकाशन और टीमवर्क आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारत के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है| इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत निम्न है| इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है। यह पुरस्कार विशेष रूप से उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर लेखन के माध्यम से साहित्यिक समृद्धि के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। यह पुरस्कार न केवल उनके लिए एक सार्वजनिक मंच तैयार करता है बल्कि उनके योगदान को रेखांकित करने के लिए 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ वाणी प्रकाशन सम्मान चित्र दिया जाता है।
पुरस्कार के सम्मानित निर्णायक मण्डल में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की संस्थापक और सह-निदेशक नमिता गोखले,जयपुर बुक मार्क की निदेशक नीता गुप्ता, और सांस्कृतिक आलोचक संदीप भुटोरिया शामिल हैं।
निर्णायक मण्डल के साथ वाणी फ़ॉउण्डेशन के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी भी साहित्यिक अनुवाद में ख़ासी रूचि रखते हैं।
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इस सम्मान के तहत वर्ष 2016 का प्रथम ‘डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड’ मलयालम कवि अत्तूर रवि वर्मा को प्रदान किया गया। वर्ष 2017 में यह पुरस्कार प्रख्यात अनुवादक, कवयित्री, लेखिका और आलोचक डॉ. अनामिका को दिया गया। वर्ष 2018 में सांस्कृतिक इतिहासज्ञ और अनुवादक डॉ. रीता कोठारी को इस पुरस्कार से नवाज़ा गया है।
2019 में यह पुरस्कार जयपुर बुक मार्क में 23 जनवरी 2019 को दिया जायेगा, जिसका निर्माण प्रतिष्ठित जयपुर साहित्यिक समारोह के सहयोग से किया गया है। तीन वर्ष पूर्व जयपुर बुक मार्क द्वारा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने एक महत्त्वपूर्ण नयी पहल की है। जयपुर बुक मार्क की संकल्पना मूलतः पुस्तक व्यापार उपक्रम के रूप में की गयी है तथा यह जेएलएफ के समानान्तर और समीपवर्ती स्थान पर आयोजित किया जाता है, जिसके अन्तर्गत अनेक प्रकाशकों, साहित्यिक समूहों, लेखकों, अनुवाद से जुड़ी एजेंसियों के मध्य सम्बन्ध, व्यापार सम्बन्धी परिचर्चा के अवसर उपलब्ध करवाए जाते हैं|
~समय पत्रिका.