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वाणी प्रकाशन की ओर से संवाद कार्यक्रम में आपके पसंदीदा लेखक आपसे मुखातिब होंगे. |
कालजयी कथाकार एवं मनीषी डॉ. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं (उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (संस्मरण, निबन्ध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलाई। हिन्दी साहित्य में ‘महाकाव्यात्मक उपन्यास’ की विधा को प्रारम्भ करने का श्रेय नरेन्द्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक समाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना नरेन्द्र कोहली की अन्यतम विशेषता है। नरेन्द्र कोहली सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है। कोहली जी का नया उपन्यास 'सागर-मन्थन' इन दिनों चर्चा में है।
विश्व पुस्तक मेला में लेखक मंच पर वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हरदिल-अज़ीज़ शायर, सिने गीतकार, क़लम के बाहुबली मनोज मुंतशिर का ताज़ा ग़ज़ल संग्रह 'मेरी फ़ितरत है मस्ताना...' पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। मुंतशिर के साथ संवाद करेंगी वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल।
मनोज मुंतशिर हिन्दी फिल्मी दुनिया में जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने गलियाँ, तेरे संग यारा, कौन तुझे यूँ प्यार करेगा, मेरे रश्के-क़मर, मैं फिर भी तुमको चाहूँगा जैसे दर्ज़नों लोकप्रिय गीत लिखे हैं। मनोज ‘मुंतशिर' फिल्मों में शायरी और साहित्य की अलख जगाए रखने वाले चुनिंदा क़लमकारों में से एक हैं। वो दो बार IIFA अवार्ड, उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘यश भारती’, ‘दादा साहब फाल्के एक्सेलेन्स अवार्ड', समेत फ़िल्म जगत के तीस से भी ज्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुके हैं। फ़िल्मी पण्डित और समालोचक एक स्वर में मानते हैं कि 'बाहुबली' को हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल फ़िल्म बनाने में, मनोज ‘मुंतशिर’ के लिखे हुए संवादों और गीतों का भरपूर योगदान है। रुपहले परदे पर राज कर रहे मनोज की जड़े अदब में हैं। देश-विदेश के लाखों युवाओं को शायरी की तरफ वापस मोड़ने में मनोज की भूमिका सराहनीय है। 'मेरी फितरत है मस्ताना...' उनकी अन्दरूनी आवाज़ है। जो कुछ वो फ़िल्मों में नहीं लिख पाये, वो सब उनके पहले कविता संकलन में हाज़िर है। यह पुस्तक रिलीज के चौबीस घंटे में ही बेस्टसेलर की सूची में शामिल हो गयी थी।
विश्व पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन के स्टॉल : 254-269 पर वाणी प्रकाशन से प्रकाशित वरिष्ठ लेखिका व संगीत अध्येता सुनीता बुद्धिराजा की भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक पद्मविभूषण पंडित जसराज के जीवन पर आधारित पहली जीवनी 'रसराज : पंडित जसराज' किताब पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। उनके साथ संवाद में साथ होंगे लेखक व वाणी प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लीलाधर मंडलोई।