दरियागंज की किताबी शामें : गोपेश्वर सिंह की पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन

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इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी में संवाद करेंगे आलोचक गोपेश्वर सिंह और बजरंग तिवारी.
दक्षिण एशिया के सबसे बड़े और पुराने किताबी गढ़ 'दरियागंज' की विस्मृत साहित्यिक शामों को फिर से एक बार विचारों की ऊष्मा से स्पंदित करने के लिए वाणी प्रकाशन ने एक नयी विचार श्रृंखला 'दरियागंज की किताबी शामें' की शुरुआत की है। इसमें विमर्श की ऊष्मा के साथ शामिल होगी गर्म चाय की चुस्कियाँ, कागज़ की ख़ुशबू और पुरानी दिल्ली का अपना ख़ास पारंपरिक फ़्लेवर।

इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी 4 अप्रैल को आयोजित की जायेगी। ‘आलोचना के परिसर : साहित्य का रचनात्मक प्रतिपक्ष’ विषय पर संवाद करेंगे वरिष्ठ आलोचक गोपेश्वर और सुपरिचित आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी। कार्यक्रम वाणी प्रकाशन के कार्यालय स्थित, डॉ. प्रेमचंद ‘महेश’ सभागार में शाम 5:00 बजे आयोजित होगा।

इसका सीधा प्रसारण (फेसबुक लाइव) वाणी प्रकाशन के आधिकारिक पेज से किया जायेगा।

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वरिष्ठ आलोचक गोपेश्वर सिंह की पुस्तक 'आलोचना के परिसर' हिन्दी आलोचना में आए नये बदलाव का प्रमाण है। हिन्दी आलोचना में कला और समाज को अलग-अलग देखने की शिविरबद्ध परिपाटियों से यह पुस्तक मुक्त करती है और आलोचना-दृष्टि में कला एवं समाज का सहमेल खोजती है।

गोपेश्वर सिंह रचना और आलोचना के किसी एक परिसर के हिमायती नहीं हैं। उनका कहना है कि रचना जीवन के वैविध्य, विस्तार और गहराई की अमूर्तता को मूर्त रूप देने की सृजनात्मक मानवीय कोशिश है। दुनिया के साहित्य में इसी कारण वैविध्य एवं विस्तार है। हर बड़ा रचनाकार पिछले रचनाकार के रचना-परिसर का विस्तार करता है। इसी के साथ वह नया परिसर भी उद्घाटित करने की कोशिश करता है।

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