'हर बच्चे तक शिक्षा का उजाला पहुँचे, यही ‘कटिहार टू कैनेडी’ का उद्देश्य है'

katihar to kennedy book launch
बड़े बदलाव ऐसे छोटे छोटे प्रयासों द्वारा ही लाए जा सकते हैं.
वाणी बुक कम्पनी, वाणी प्रकाशन के अंग्रेज़ी उपक्रम द्वारा डॉ. संजय कुमार की पुस्तक 'कटिहार टू कैनेडी : द रोड लेस ट्रैवेल्ड' का लोकार्पण इण्डिया इंटरनेशनल सेण्टर में किया गया। पुस्तक लोकर्पण के उपरान्त एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय था 'भारत में ज़मीनी विकास : नयी सहस्त्राबदी की कथा'। परिचर्चा में लेखक एवं राजनीतिज्ञ पवन कुमार वर्मा, रचनाकार एवं पटकथा लेखक अद्वैता काला, शिव नादर स्कूल की प्राचार्य शशि बनर्जी एवं जनसमुदाय की प्रतिनिधि कारी-बेन ने भाग लिया। परिचर्चा का संचालन सौम्या कुलश्रेष्ठ ने किया।

लेखक एवं राजनीतिज्ञ पवन कुमार वर्मा ने कहा यह किताब बहुत प्रेरक है और यह इसमें मौज़ूद साहस और प्रतिरोध के कारण है। यह किताब इसके लेखक के व्यक्तित्व को दर्शाती है। यह किताब उस उम्मीद के बारे में है कि जब सारे रास्ते बंद हो जाएँ तब भी आगे बढ़ा जा सकता है और इसके लिए कठिन परिश्रम, ख़ुद पर विश्वास और आशा की ज़रुरत होती है। हमारे एक ही देश में दो देश हैं जहाँ एक तरफ़ तो सारे साधन हैं और दूसरी तरफ़ आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है। यह किताब यह बताती है कि अवसर कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं, इसे कोई भी अपने लिए निर्मित कर सकता है। बदलाव के लिए जूनून की ज़रूरत होती है। संघठन क्षमता हो ताकि विकास को ज़मीनी स्तर तक ले जाया जा सके। संजय कुमार के अंदर वह क्षमता है और वह इस किताब में नज़र आती है।
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जन सामुदायिक प्रतिनिधि कारी बेन ने कहा कि 1999 से हम संजय कुमार के साथ काम कर रहें हैं। कई बहनें थी जो छोटे रोज़गार सिलाई कढ़ाई में लगी थी, संजय कुमार ने हमें स्वाबलंबी और जागरूक बनने का रास्ता दिखाया। परिवर्तन आता है पर उसे कोई बताने वाला चाहिए। इस रास्ते पर चलने के लिए पंचायत ने हम पर ज़ुर्माना लगाया पर हम संजय भाईजी के बताए रास्ते पर बढ़ते गए। ऐसे इन्सान बिरले ही मिलते हैं जो दूसरों को रास्ता दिखाए। इनके दिखाए रास्ते से हमारी पहचान बनी और आज उसी पहचान के दम पर मैं यहाँ बैठी हूँ।

शिव नाडर स्कूल की प्राचार्या शशि बनर्जी ने कहा सबसे बड़ा संसाधन अपने अंदर से आता है। अगर हम अर्जुन की तरह पैनी दृष्टि रखकर सोचें कि हम शिक्षा के क्षेत्र में क्या कर सकते हैं, तो हम कर सकते हैं। बदलाव ला सकते हैं। संसाधनों से दूरियाँ बनाता कौन है, बच्चे तो नहीं बनाते। हर बच्चे को सभी संसाधनों की पहुँच होनी चाहिए। समान अवसर मिलना चाहिए और इसके लिए हर शिक्षक को प्रयास करना होगा।

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लेखिका और स्क्रीन राइटर अद्वैता काला ने कहा कि ‘कटिहार टू कैनेडी’ उन लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का एक सुन्दर प्रयास है जहाँ उम्मीद की रौशनी नहीं पहुँची है। बड़े बदलाव ऐसे छोटे छोटे प्रयासों द्वारा ही लाए जा सकते हैं।

डॉ. संजय कुमार ने शिक्षा को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाने के अपने प्रयासों के बारे में जानकारी दी और इस किताब का उद्देश्य बताया जो कि हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाना है। अपनी मिट्टी से जो ज़ज़्बा उन्होंने पाया, उसे वही प्रतिदान देना है। शिक्षा का उजाला और उसकी अहमियत हर बच्चे के जीवन तक पहुँचे यही इस किताब का उद्देश्य है।

वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने वाणी बुक कम्पनी और उसकी पहली अँग्रेज़ी किताब ‘कटिहार टू कैनेडी’ की रचना प्रक्रिया से दर्शकों को अवगत कराया।

कार्यक्रम का संचालन रश्मि भारद्वाज ने किया।