‘कुली लाइन्स’ द्वारा प्रवीण कुमार झा ने इतिहास के वृत में छिद्र कर दिया है- यतीन्द्र मिश्र

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'जब भी इस विषय पर कोई शोध होगा तो इस किताब को आदर्श के तौर पर देखा जायेगा'
गिरमिटियों के इतिहास पर आधारित युवा रचनाकार प्रवीण कुमार झा की पुस्तक 'कुली लाइन्स' पर एक संवाद का आयोजन 30 जुलाई 2019 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। ज्ञात हो कि अपने प्रकाशन के 75 दिनों के भीतर ही इस शोधपरक पुस्तक का दूसरा संस्करण आ चुका है। कार्यक्रम पद्मश्री मालिनी अवस्थी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मुख्य वक्ता के तौर पर यतीन्द्र मिश्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वाणी प्रकाशन की प्रधान संपादक रश्मि भारद्वाज द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में तीनों अतिथियों को सम्मानित कर मंचासीन किया गया।

स्वागत भाषण से कार्यक्रम का औपचारिक आरम्भ करते हुए वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने वाणी प्रकाशन के समृद्ध इतिहास के बारे में बताते हुए युवा वाणी की परियोजना से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अरुण कमल, अनामिका, उदय प्रकाश, ममता कालिया से लेकर गीता श्री, प्रभात रंजन, वीरू सोनकर, सुशोभित, अभय मिश्र, प्रवीण झा, संजय सिंह और अणुशक्ति सिंह आदि प्रतिभाओं की पहली पुस्तक प्रकाशित कर वाणी प्रकाशन युवाओं, उनकी  नई आवाज़ों और नये विचारों को प्रस्तुत करने का सशक्त मंच रहा है।

रश्मि भारद्वाज के अनुसार युवा वाणी के अंतर्गत विश्व पुस्तक मेले-2020 में बहुत उल्लेखनीय पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी।

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रचनाकार प्रवीण कुमार झा के अनुसार वैसे तो कई लोगों ने गिरमिटियों का इतिहास लिखा है, और लिखा जा रहा है, लेकिन हिन्दी में पहली बार सभी द्वीपों के इतिहास को एक साथ रखने का प्रयास किया गया है। आगे बात करते हुए प्रवीण झा ने बताया कि गिरमिटिया अपनी छ: पीढ़ी के बाद भी अपने आपको भारतीय मानते हैं। शुरुआत में जो स्त्रियाँ गिरमिटिया मज़दूरों के रूप में बाहर गईं, उनके लिए उनकी मुक्ति प्रमुख थी, परंतु बाद में उन्होंने भी भारतीय संस्कृति को बचाने का प्रयास किया।

यतीन्द्र मिश्र ने किताब के बारे में बोलते हुए कहा कि हर पन्ने में लेखक का मानस खुलता जाता है। भूमिका पढ़ते हुए उन्होंने लेखक की ईमानदारी पर चर्चा की। आगे उन्होंने कहा कि इस किताब द्वारा प्रवीण ने इतिहास के वृत्त में छेद कर दिया है, और जब भी इस विषय पर कोई शोध होगा तो इस किताब को आदर्श के तौर पर देखा जायेगा। यतीन्द्र मिश्र के अनुसार एक ईमानदार, भावुक और सह्रदय लेखक प्रवीण के अंदर है जो इस किताब के पन्नों से झलकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्ष मालिनी अवस्थी के अनुसार किताब का विषय और शीर्षक दोनों ही आकर्षित करते हैं। उनके अनुसार प्रवीण ने उस समय के अंग्रेज़ों के मनोविज्ञान को छुआ है। मालिनी अवस्थी के अनुसार मॉरीशस और फिजी में भारतीयता ज़्यादा दिखाई देती है। अगर आपको जानना है कि आप क्या थे तो आप सूरीनाम और त्रिनिडाड जाइये, जहाँ के गिरमिटिया लोगों के वंशजों ने भारतीयता के मूल रूप को समरक्षित रखा है। मालिनी अवस्थी ने इस अवसर पर बिदेसिया गीत गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।