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लेखक अनन्त विजय की आलोचनात्मक पुस्तक 'मार्क्सवाद का अर्धसत्य' पर परिचर्चा हुई.. |
कार्यक्रम के दौरान लेखक अनंत विजय के साथ यायावर व युवा लेखक राहुल नील उपस्थित थे। मंच का संचालन लेखक राहुल नील ने किया। उन्होंने अनंत विजय से प्रश्न किया कि फ़िल्मों पर लिखते लिखते, इस सामाजिक विषय पर आने का परिवर्तन कैसे हुआ? अनंत विजय इसके उत्तर में कहते हैं कि उन्होंने कई ऐसी पुस्तकों का अध्ययन भी किया, कई तथ्यों का आकलन करते हुए उन्हें विचार आया कि अपनी इस जानकारी को बिना किसी लाग लपेट के, तथ्यात्मक रूप में पाठकों तक पहुँचाना चाहिए। अपनी बात रखते हुए वह बताते हैं कि अपनी पुस्तकों की रचना के बाद वह अधिक मुखर हुए हैं। अपनी बात वह अधिक उचित रूप में पहुँचा पाते हैं।
राहुल नील अपनी बातचीत के दौरान उनसे पूछते हैं कि किस प्रकार अपनी पुस्तक के विषय को वह वर्तमान समाज में विश्वविद्यालयों की समस्या, विचारधाराओं के द्वंद्व से जोड़कर देखते हैं। अनंत विजय इस सम्बन्ध में बताते हैं कि अपनी इस पुस्तक लेखनी की यात्रा के दौरान वह कई तथ्यों से रूबरू हुए, उन्होंने कई तथाकथित मार्क्सवादियों के चेहरों के पीछे छिपे झूठ को पाया जिसका वर्णन उन्होंने इस पुस्तक में किया है।
अनंत विजय ने कहा कि भारत का लोकतन्त्र इतना मजबूत है कि यहाँ की जनता कभी भी फ़ासीवाद को अपने पाँव पसारने नहीं देगी।
अनंत विजय से वहां मौजूद पाठकों ने प्रश्न किए जिनका बड़े दिलचस्प तरीक़े से उन्होंने उत्तर दिया।