'मैंने कहीं नहीं लिखा कि गांधी कम महान हैं और अंबेडकर ज्यादा दिमाग वाले हैं' -अरुंधती रॉय

arundhati-roy-usha-uthup
विश्व पुस्तक मेले में अरुंधती रॉय और उषा उथुप एक साथ एक मंच पर दिखीं.
विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन के ‘जलसाघर’ पर अरूंधति रॉय ने अपनी किताब ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘इतिहास, सबसे बड़ा फेक न्यूज प्रोजेक्ट है’। इस मौके पर पुस्तक के हिंदी अनुवादक अनिल जयहिंद और रतन लाल भी मौजूद थे।

गांधी और अंबेडकर के बीच के रिश्ते को समझने का प्रयास करती किताब ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ पर सह-अनुवादक रतनलाल से बात करते हुए अरुंधती रॉय ने कहा, “किताब में जाति और नस्लवाद को लेकर दोनों के मतभेदों को उजागर किया है। इस किताब में अंबेडकर पर अच्छा विश्लेषण है लेकिन दोनों व्यक्तित्व की तुलना नहीं की गई है। मैंने इसमें कहीं नहीं लिखा है कि गांधी कम महान हैं और अंबेडकर ज्यादा दिमाग वाले हैं”।

‘एक था डॉक्टर एक था संत’ डॉ. बी. आर. अंबेडकर के 1936 के प्रसिद्ध लेख ‘जाति के विनाश’ को आधार बनाकर लिखी है। इस लेख के बाद सबसे ज्यादा आपत्ति महात्मा गांधी ने जताई थी। तब से लेकर आज तक वो बहस का मुद्दा बना हुआ है।
ek-tha-doctor-ek-tha-sant

'एक था डॉक्टर एक था संत' यहाँ उपलब्ध है : https://amzn.to/36LoEeX

पुस्तक समीक्षा : एक था डॉक्टर एक था संत

पिछले साल अरुंधती के चर्चित उपन्यास ‘मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ उपन्यास का हिंदी अनुवाद राजकमल प्रकाशन से हिंदी और उर्दू में एक साथ प्रकाशित हुआ था। कार्यक्रम में किस्सागो हिमांशु बाजपेयी ने अरूंधति रॉय के उपन्यास के हिंदी अनुवाद 'अपार खुशी का घराना' से एक अंश पढ़कर सुनाया।

अरुंधती रॉय और उषा उथुप एक साथ एक मंच पर दिखीं। उषा उथुप अपनी जीवनी ‘उल्लास की नाव’ पर बातचीत करने के लिए राजकमल के जलसाघर पहुंची थीं। दोनों ने कई पुराने किस्सों को याद किया।

उषा उथुप ने अपने गानों से पाठकों का मन मोह लिया। ‘उल्लास की नाव' के जीवनीकार विकास कुमार झा भी मौजूद थे। उन्होंने पाठकों को बताया की उषा उथुप ने अपने जीवन की ऐसी कई सनसनीखेज बातों को भी किताब में जगह दी जिसके लिए प्रकाशक भी घबरा गए।
usha-uthup-book-hindi

'उल्लास की नाव' यहाँ उपलब्ध है : https://amzn.to/37U66ta

‘जलसाघर’ के मंच से ‘आधार से किसका उद्धार’ किताब पर पत्रकार महताब आलम से बात करते हुए रीतिका खेडा ने कहा, ''2010 में भारत सरकार ने ऐलान किया कि हर एक रेजीडेंट को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा। सरकार ने बताया इससे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। आधार के लोगों ने मुझसे बात की, लेकिन उन्होंने मुझे ऐसे अजीब उदाहरण दिए कि मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है। तब मैंने इस पर काम करना शुरू किया।''

रीतिका खेड़ा ने बताया, आधार एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे हर सरकार रखना चाहती है क्योंकि इससे लोगों को नियंत्रित किया जा सकता है। यूपीए सरकार तो इस मामले में शेर थी तो वर्तमान सरकार सवा शेर निकली। 2016 में आधार को मनी बिल बना दिया गया। जबकि ये मनी बिल बनने के लायक नहीं था।

adhaar-ritika-kheda-hindi-book

'आधार से किसका उद्धार' यहां उपलब्ध है : https://amzn.to/2sar1ZE

आधार एक ऐसा विषय है जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। उसी बहसों और चर्चाओं को लेकर रीतिका ने तथ्यों के हिसाब से इस किताब को लिखा है।

कार्यक्रम में विशाल भारद्वाज की चर्चित फिल्म ‘पटाखा’ पर बनी फिल्म के लेखक चरण सिंह के कहानी संग्रह ‘दो बहनें’ का लोकार्पण किया गया। फिल्म के बारे में लेखक चरण सिंह बताया कि 'दो बहनें' कहानी पढ़ने के बाद विशाल भारद्वाज ने उनसे कहा कि आप मुंबई नहीं आओगे, मुंबई आपके घर आएगा। उसके बाद उन्होंने इस कहानी पर पटखा फिल्म बनायी।