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'एफ. ओ. शब्द का जयंती रंगनाथन ने बड़ी चतुराई से प्रयोग किया है' |
मंच संचालन वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने किया। उन्होंने सभी दर्शकों तथा अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया। कार्यक्रम के आरम्भ में अशोक चक्रधर, क्षमा शर्मा ने जयंती रंगनाथन के साथ उनकी पुस्तक का दर्शकों की तालियों के बीच लोकार्पण किया।

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अदिति माहेश्वरी ने जयंती रंगनाथन से प्रश्न पूछा कि, 'मिलेनियल्स और जेनरेशन स्क्वायर ज़ेड' शब्द का सम्बन्ध एफ़.ओ.ज़िन्दगी से किस प्रकार है? अपने उपन्यास का आधार बताते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनकी पीढ़ी और नयी, मिलेनियल्स पीढ़ी अलग है। उन्होंने नयी पीढ़ी के महत्त्व को भी स्वीकारा।

क्षमा शर्मा ने भी नयी पीढ़ी के महत्त्व उनके जीवन में प्रासंगिक शब्द से जुड़ा एफ़.ओ. शब्द को स्वीकारा। वह उपन्यास की कथा का भी विवेचन करतीं हैं।
सुप्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर पुस्तक से संबन्धित 'फ़ालतू ओवरसेंसिटिविटी' शब्द का महत्त्व बताते हैं। रितुल जोशी ने बताया कि कैसे एफ. ओ. शब्द का जयंती रंगनाथन ने बड़ी चतुराई से प्रयोग किया है। नयी पीढ़ी की विचारधारा उनकी सुविधाओं की भी अपनी पीढ़ी से वह तुलना करती हैं।

वरिष्ठ आलोचक व मीडियाकर्मी सुधीश पचौरी ने सभी की टिप्पणियों को सुनकर पुस्तक को एक गीत से सम्बद्ध किया। "मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया।" 'फ़िक्र को धुएँ में उड़ाना' नयी पीढ़ी की ओर इशारा था।
टिप्पणियों और चर्चाओं के बाद कई श्रोताओं ने अशोक चक्रधर से उनके अच्छी कविताएँ लिखने का राज़ पूछा, जिसके लिए अशोक चक्रधर ने सुनने की परम्परा को महत्त्वपूर्ण माना। जयंती रंगनाथन से उनके 'एफ़.ओ. ज़िन्दगी' लिखने का कारण पूछा, तो उन्होंने इसका श्रेय वाणी प्रकाशन को दिया।