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प्रो. शंभुनाथ के ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ पर परिचर्चा की गई. |
पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर जवरीमल्ल पारिख, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर गोपेश्वर सिंह, वरिष्ठ आलोचक एवं कला विशेषज्ञ ज्योतिष जोशी, आलोचक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. विनोद तिवारी, कथाकार भगवानदास मोरवाल, धीरेंद्र यादव और गोपाल प्रधान उपस्थित थे। समारोह की शुरुआत में वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
गोपाल प्रधान ने ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पाठकों को अनौपनिवेशीकरण की ओर ले जाता है। भगवानदास मोरवाल ने ज्ञानकोश के प्रकाशन पर खुशी और गौरव जताया। ज्योतिष जोशी के अनुसार यह ज्ञानकोश हिंदी में एक बड़े अभाव की पूर्ति करता है।

जवरीमल्ल पारिख ने बताया कि ‘हिन्दी साहित्य ज्ञानकोश’ का उद्देश्य हिन्दी साहित्य प्रेमियों और अध्ययनकर्ताओं के लिए वस्तुपरक और सटीक जानकरी उपलब्ध कराना है। उन्होंने इसे साहित्य का ज्ञानकोश ही नहीं बल्कि साहित्य के संदर्भ का ज्ञानकोश कहा जो आलोचनात्मक दृष्टि प्रदान करने में सहायक है। शंभुनाथ ने साहित्य शब्द का ज्ञानकोश से सम्बन्ध बताया कि साहित्य संवेदना के सभी विषयों को अपने अंतर्गत समेटता है।
सभी अतिथियों ने माना कि ज्ञानकोश का महत्व, 'बौद्धिकता की दरिद्रता' और 'मिथ्या चेतना' की ख़त्म करने में है जो बौद्धिक सहायता प्रदान करता है।
साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष व कवि माधव कौशिक के ग़ज़ल संग्रह 'नयी उम्मीदों की दुनिया' का लोकार्पण किया गया।