वैदिक परिचय ग्रन्थमाला के पहले खण्ड 'ऋग्वेद’ का लोकार्पण व परिचर्चा

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भारतीय दर्शन और संस्कृति का आदि स्रोत है ऋग्वेद, जो विश्व मानव का प्राचीनतम ज्ञान अभिलेख भी है.
विश्व पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन ग्रुप के स्टॉल पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष व कुशल राजनीतिज्ञ हृदयनारायण दीक्षित का धर्मशास्त्र पर आधारित वैदिक परिचय ग्रन्थमाला के पहले खण्ड 'ऋग्वेद' का लोकार्पण व परिचर्चा की गयी। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, लेखिका प्रो. पुष्पिता अवस्थी एवं वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी उपस्थित थे। हृदयनारायण दीक्षित की पुस्तक 'ज्ञान का ज्ञान' अभी हाल ही में वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा लोकार्पित की गयी।

भारतीय दर्शन और संस्कृति का आदि स्रोत है ऋग्वेद, जो विश्व मानव का प्राचीनतम ज्ञान अभिलेख भी है, इसे रहस्यात्मक बताकर इसके इतिहास की चर्चा कम की जाती रही है, परन्तु हृदयनारायण दीक्षित के योगदान से पुनः इस ओर ध्यान दिया जा रहा है, इसी उद्देश्य से इस वैदिक परिचय ग्रन्थमाला की शुरुआत की गयी है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने लेखक मंच का संचालन करते हुए हृदयनारायण दीक्षित समेत अन्य अतिथियों का भी स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत में अरुण माहेश्वरी द्वारा वाणी प्रकाशन ग्रुप की ओर से सभी अतिथियों को शॉल देकर सम्मानित किया एवं  पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि भले ही वह अर्थशास्त्र के विद्यार्थी रहे, परन्तु साथ-ही-साथ वह वेदों का अध्ययन-मनन करते रहते थे, इसी कारण उनकी रुचि वेदों की तरफ गयी। कई लोग वेदों पर यह आक्षेप लगाते हैं कि यह परलोकवादी, भाववादी हैं, परन्तु ऋग्वेद के साढ़े दस हज़ार मंत्रों में परलोकवाद की बात बहुत कम जगह हुई है। जहाँ विज्ञान की शुरुआत प्रश्नों से होती है, वहीं ऋग्वेदों में भी प्रश्नों की लम्बी परम्परा है। जिसमें बहुआयामी विषय राजनीतिक, सामाजिक, निजी पहलुओं का वर्णन है। हृदयनारायण दीक्षित ने असाधारण पुस्तक 'ऋग्वेदों' का सरल, साधारण परिचय दिया। 

ज्ञान का ज्ञान : सत्य की खोज, परम तत्व के रहस्य, जिज्ञासा व विमर्श

वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि हृदयनारायण दीक्षित ने एक हज़ार से अधिक सूक्तियों का प्रयोग किया है जो नयी पीढ़ी के लिए अति आवश्यक है। भारत की अंतर्निहित चेतना का प्रमाण इनमें मिलता है। राहुल देव के अनुसार हृदयनारायण दीक्षित सच्चे अर्थों में राजर्षि हैं।

वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने स्वलिखित कविता का वाचन किया। पत्रकार हेमन्त ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद राजनीति के ज्ञाता हृदयनारायण दीक्षित हैं।

लेखिका पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि यह पुस्तक ऋग्वेद के सन्देश को जनमानस तक पहुँचाने में सहायक है। साथ ही वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी व निदेशक अदिति माहेश्वरी गोयल को इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने नयी पीढ़ी से इसे पढ़ने का आग्रह किया, क्योंकि उनका मानना है कि इसके पठन-पाठन से ज्ञानवान हुआ जा सकता है। अन्त में कई लोगों ने हृदयनारायण दीक्षित से प्रश्न भी किये जिनका उन्होंने बड़ी खूबसूरती से उत्तर दिया।