आशुतोष नाड़कर के उपन्यास 'शकुनि : पासों का महारथी' का लोकार्पण और परिचर्चा

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'शकुनि' नायक है या खलनायक, इसका निर्धारण करना पाठकों पर निर्भर करता है.
विश्व पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर चर्चित वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष नाड़कर का नया उपन्यास 'शकुनि : पासों का महारथी' का लोकार्पण और परिचर्चा की गयी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कथाकार आकांक्षा पारे और एबीपी न्यूज़ के एसोसिएट एडिटर प्रणय उपाध्याय उपस्थित थे।

वाणी प्रकाशन ग्रुप की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने मंच का संचालन करते हुए, अतिथियों से पुस्तक का विमोचन करने का आग्रह किया। पुस्तक विमोचन के बाद, अदिति ने उपन्यासकार आशुतोष नाड़कर से प्रश्न किया कि वह ऐतिहासिक पात्र जिसके बारे में दुनिया जानती है, उसको केन्द्र में रखकर निष्पक्ष होकर किस प्रकार लिखा गया।

उपन्यासकार आशुतोष नाड़कर ने कहा कि 'शकुनि' महाभारत का एक अहम पात्र है, उसी पर पूरी महाभारत कथा केन्द्रित है, उनका मानना था कि 'शकुनि' नायक है या खलनायक, इसका निर्धारण करना पाठकों पर निर्भर करता है।

'शकुनि' उपन्यास पर अपनी टिप्पणी करते हुए पत्रकार आकांक्षा ने कहा कि इस उपन्यास में केवल विजेताओं की कथा नहीं बल्कि एक ऐसे हारे हुए व्यक्ति की कथा है, जो अपने को संपूर्ण करने की जद्दोजहद में है। ए.बी.पी. न्यूज़ के रिपोर्टर प्रणय उपाध्याय के अनुसार, यह उपन्यास भारतीय मानस की अदालत में शकुनि का रिव्यु पेटिशन' है। जो भारत की बनी बनाई धारणाओं को तोड़ता है।

आशुतोष नाड़कर ने अपने उपन्यास के कुछ अंशों का पाठन करते हुए बताया कि यह उन्होंने 'शकुनि' को नायक या खलनायक बनाने का निर्धारण उन्होंने नहीं किया। इसका अधिकार उन्होंने केवल पाठकों को दिया है। जिस प्रकार 'शकुनि' ने महाभारत में रणनीतियों का जिस प्रकार निर्माण किया, वहीं वर्तमान समय में 'अमेरिका', 'इराक़' के सम्बन्ध में भी दिखती है। इस प्रकार यह उपन्यास सम्यक आकलन में मदद करता है। 

आख़िर में दर्शकों ने भी अपने प्रश्न उपन्यासकार आशुतोष नाड़कर से किया कि शकुनि के साथ बाकी महाभारत के पात्रों के सम्बंध में उनकी क्या राय है, जिसका उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि महाभारत के सभी पात्रों में एक प्रकार का 'ग्रे शेड' स्वभाव है।