![]() |
'प्रेम जिंदगी में नमक की तरह है और बिना नमक सब फीका है'... |
अमेजन की बेस्टसेलर सूची में कुलदीप राघव की पुस्तक शामिल रही। इसपर लेखक का कहना है कि हिंदी की किसी किताब और लेखक के लिए यह वाकई अद्भुत पल है चूंकि पहले इस लिस्ट में अंग्रेजी की किताबों का बोलबाला रहता था। उनके अनुसार आम बोलचाल की भाषा में कहानी लेखन ने युवा पाठकों को हिंदी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। कुलदीप ने कहा कि हर महीने कम से कम एक हिंदी किताब पढ़ने की आदत डालें।
पाठकों से रूबरू होते हुए कुलदीप राघव ने अपनी दोनों किताबों के कथानक पर बात करते हुए कहा कि जिंदगी में प्रेम की वही जगह है जो खाने में नमक की होती है। प्रेम का ना कोई दिन होता है और ना महीना। व्यक्ति सर्वदा प्रेम में रहता है, बस उसे अपने भीतर उसे पहचानने की जरूरत होती है।

अपने उपन्यासों से उपजने वाले सामाजिक सन्देश, चाहे वो रिश्तों की अहमियत हो या समाज के प्रति व्यक्ति की नैतिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर देते हुए कुलदीप राघव ने कहा कि जब नाम से साथ 'कार' जुड़ जाता है तो आपकी समाज के प्रति जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कहानीकार, गीतकार, कलाकार, संगीतकार समाज को क्या परोस रहे हैं, उसका स्वाद आने वाली कई पीढ़ियां चखेंगी।
लेखन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि किताब लिखने और छपने से ज्यादा जरूरी है किताब बेचना। यह दौर मार्केटिंग का है। ऐसे में पुस्तक की सही मार्केटिंग और प्रमोशन जरूरी है। चेतन भगत जैसा लेखक 10 लाख कॉपी बेचने का लक्ष्य रखता है तो नवोदित लेखकों को भी लक्ष्य तय करने चाहिए।

खुशहाल जिंदगी के लिए प्रेम जरूरी है। प्रेम जिंदगी में नमक की तरह है और बिना नमक सब फीका है। लेकिन जब यही नमक ज्यादा हो जाए, तो पूरा स्वाद बिगाड़ देता है। इश्क़ मुबारक आपको बताती है कि जिंदगी के लिए कितना नमक जरूरी है यानी कितना प्रेम। बाल-सुलभ उत्सुकता पैदा करती यह कहानी। आपको इश्क की स्वीकृत हद और सामाजिक मर्यादा की लक्ष्मण-रेखा के बीच गोते लगवाती चलेगी। यह गुदगुदाती है तो कभी सहज मुस्कराने पर विवश कर देती है। यह कहानी है मीर, वंदना और साहिबा की।
किताब यहाँ उपलब्ध है :
MarkMyBook Link : https://markmybook.com/book.php?book=586195
Amazon Link : https://amzn.to/37yhRoz