वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित होंगी कुमार विश्वास की किताबें

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वाणी प्रकाशन ग्रुप ने डॉ. विश्वास को एक करोड़ रुपये की अनुबन्ध राशि प्रदान की.

वाणी प्रकाशन समूह अब अपने 59वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। यह प्रकाशन गृह अपने सार्थक प्रकाशनों के माध्यम से हिन्दी के साहित्यिक, सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक उत्प्रेरक के रूप में उभरा है। कवि, शिक्षाविद्, प्रेरक, सामाजिक कार्यकर्ता और हिन्दी के अन्तरराष्ट्रीय राजदूत डॉ. कुमार विश्वास के 51 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके साथ 5 नयी पुस्तकों का ऐलान किया है। ब्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना (डॉ. विश्वास का शोध प्रबन्ध), 'कोई दीवाना कहता है' तथा डॉ. विश्वास द्वारा सम्पादित विश्व प्रसिद्ध शायर जॉन एलिया के तीन शायरी संग्रहों– 'लेकिन', 'गुमान' व 'यानी' की प्रकाशन घोषणा करते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप गौरवान्वित है। ‘कोई दीवाना कहता है’ पुस्तक के लिए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने डॉ. विश्वास को एक करोड़ रुपये की अनुबन्ध राशि प्रदान की। यह अनुबन्ध हिन्दी प्रकाशन उद्योग में एक पुस्तक के लिए अभी तक किया गया सबसे बड़ा अनुबन्ध माना जा रहा है।

इस अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा, "हम अपने पाठकों के लिए डॉ. कुमार विश्वास के गम्भीर बौद्धिक कार्यों के साथ-साथ उनकी रचनात्मक कृतियों को अनूठी शैली में एक नये अनुभव के रूप में पेश करना चाहते हैं। हिन्दी के वैश्विक राजदूत डॉ. विश्वास का वाणी प्रकाशन ग्रुप में स्वागत है। इन नयी घोषणाओं के साथ, हम हिन्दी के युवा लेखकों और पाठकों को एक सन्देश देना चाहते हैं कि दृढ़ता और कड़ी मेहनत से कुछ भी सम्भव है। हिन्दी साहित्य उदार है और हर युवा के लिए वैश्विक अवसर प्रस्तुत कर सकता है। एक समाज के रूप में हम डॉ. विश्वास के प्रतिष्ठित जीवन और साहित्यिक यात्रा का न सिर्फ़ स्वागत करते हैं बल्कि उसे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणात्मक भी मानते हैं। हमें उम्मीद है कि उनकी साहित्यिक कृतियों में वैश्विक रुचि बढ़ेगी और आने वाले वर्षों में अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं में इनका अनुवाद भी होगा।"

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डॉ. कुमार विश्वास तथा उनकी पुस्तक के सम्बन्ध में पद्मश्री अलंकृत सुप्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी का कहना है कि कौरवी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाली बोली है और ब्रजभाषा  का लालित्य तो किसी से भी नहीं छिपा। कुमार विश्वास के कविता पाठ में लोक जैसी सहजता है और उसे सहेजते हुए बढ़ने वाली चेतना।

अपने 51वें जन्मदिन के कार्यक्रम पर डॉ. कुमार विश्वास ने वाणी प्रकाशन के माध्यम से जुड़े अपने सारे श्रोताओं और पाठकों को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि, "इतने लम्बे अन्तराल तक किसी एक रचनाकार में निरन्तर आस्था बनाये रखने से ही रचनाकार में वो आत्मबल और ऊर्जा पैदा होती है कि वो और अच्छा सोच व रच सके। जैसा कि हर रचनाकार के साथ होता है, सर्वश्रेष्ठ आना अभी शेष है। शास्त्र भी कहता है, “सन्तुष्टा द्विजा नष्टा, असन्तुष्टा च महीपति।” तो इच्छा है यह हल्का-सा असन्तोष जीवन-भर रहे ताकि नव्यतर और श्रेयस्कर लिखने का प्रयास लगातार चलता रहे।" उन्होंने अपने तमाम युवा पाठकों को विश्व में पारस्परिक वैमनस्य, ईर्ष्या व आक्रोश की जो नकारात्मक लहर चल रही है उसके विपरीत सर्जनात्मकता की सकारात्मक दीवार बनाने का सन्देश दिया। उनके अनुसार, "हम प्रतिहिंसा और घृणा की अग्नि को अपनी आत्मा की शुचिता व आँखों के पावन जल से चुनौती देते हुए सकारात्मक सृजन की सम्भावनाओं को अपने पसीने की बूँदों से सदैव सिंचित करें ताकि पृथ्वी को जिस मंगलकारी कामना के साथ ईश्वर ने मनुष्य के हवाले किया था वह कामना सतत फलीभूत होती रहे।"

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स्वर्गीय धर्मवीर भारती ने डॉ. विश्वास को इस पीढ़ी का सबसे ज़्यादा सम्भावनाओं वाला कवि कहा था। साथ ही गीतकार नीरज ने उन्हें ‘निशा नियामक’ की संज्ञा दी है। डॉ. कुमार विश्वास को 1994 में ‘काव्य कुमार पुरस्कार’, 2004 में ‘डॉ. सुमन अलंकरण’ (साहित्य भारती), 2006 में ‘साहित्य श्री’ (हिंदी-उर्दू अवॉर्ड अकादमी) तथा 2010 में जन चेतना मंच द्वारा ‘डॉ. उर्मिलेश गीत-श्री सम्मान’ प्रदान किया गया। अब तक डॉ. कुमार विश्वास की तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं– इक पगली लड़की के बिन (1996), कोई दीवाना कहता है (2007, 2021) तथा फिर मेरी याद (2019)।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से बीजेपी सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी तथा राजनेता व राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी शिरकत की। साथ ही शास्त्रीय गायिका विद्या शाह और सुनन्दा शर्मा का सान्निध्य रहा। कार्यक्रम का संचालन लोकसभा चैनल की प्रसिद्ध पत्रकार दीप्ति दुबे द्वारा किया गया।