अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकों का लोकार्पण व परिचर्चा

अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकों

18वाँ राष्ट्रीय पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित लेखक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकें 'नवनाथ', 'नाथ सम्प्रदाय : दर्शन कथा नाथपन्थ की', और 'नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ' का लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में  प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश पूर्व कुलपति, बीएचयू और आर. एन बनर्जी, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि नाथपन्थ पर केंद्रित इन पुस्तकों के माध्यम से लेखक ने न सिर्फ़ नाथपन्थ सम्प्रदाय को प्रतिस्थापित किया है बल्कि मनीषियों और योगियों के इस ज्ञान संसार को वर्तमान युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य भी किया है।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी आर.एन. बनर्जी ने लेखक को शुभकामाएं देते हुए कहा कि उनकी कलम अनवरत चले ही नहीं बल्कि साधन के साथ चले।

वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने कहा कि 'नाथ सम्प्रदाय','सनातन दर्शन','वैष्णव दर्शन','भक्ति साहित्य','सूफ़ी साहित्य','अघोरी पन्थ','किन्नर समुदाय','यक्ष दर्शन','सिख दर्शन','पारसी गूढ़ प्रश्न','नवनाथ' -'वाणी प्रकाशन ग्रुप' में सभी दर्शनों का स्वागत है। शिष्य, गुरु का उद्धार करने का सामर्थ्य रखे, यह नाथ सम्प्रदाय में ही विद्यमान है। यह अनोखा लोकतंत्र है जिसे भारतीय युवाओं को समझना चाहिए।

नयी पुस्तकों का लोकार्पण व परिचर्चा

 ‘नवनाथ’ पुस्तक के बारे में

नाथपन्थ के सिद्धों का चरित्र आध्यात्मिक शुचिता एवं मानवीय संचेतना का पर्याय है। नाथपन्थ में प्रमुखतया नवनाथ एवं चौरासी सिद्धों की मान्यता एवं व्याप्ति है फिर भी इनके अतिरिक्त भी अनेक सिद्धों एवं योगियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है। नाथ-परम्परा (नाथधारा) आज भी नैरन्तर्य पूर्ववत गतिमान है। प्रस्तुत प्रणीत ग्रन्थ में नवनाथों के जीवन चरित्र, उनके उपदेश, उनके ग्रन्थों और उनके प्रति लोकास्था का संक्षिप्त विवरण प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है। ऐसी पन्थिक-प्रसिद्धि है कि सृष्टि के आरम्भ में नवनाथ हुए और इन्होंने ही नाथपन्थ का प्रवर्तन किया।

 'नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ' पुस्तक के बारे में

प्रस्तुत ग्रन्थ में युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ का वर्णन सात अध्यायों में एवं परिशिष्ट के माध्यम से किया गया है। इसके प्रथम अध्याय में गुरु गोरखनाथ द्वारा बताये गये हठयोग का वर्णन आदित्यनाथ जी के ग्रन्थ 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना' की सहायता से किया गया है। इसमें योग और प्राणायाम के द्वारा स्वस्थ एवं मुक्ति मार्ग प्राप्त करने का वर्णन है। दूसरे अध्याय में संस्कारिक शिष्यों श्री गोरखनाथ एवं कानिफानाथ के द्वारा श्री मत्स्येन्द्रनाथ एवं जालन्धरनाथ की मुक्ति की कथा का वर्णन किया गया है। तीसरे अध्याय में कौल ज्ञान का वर्णन किया गया है। चौथे अध्याय में जालन्धरनाथ एवं कानिफानाथ के कापालिक मत का वर्णन किया गया है। पाँचवें अध्याय में भर्तृहरि (विचारनाथ) के उपदेशों का संकलन किया गया है। छठे अध्याय में नाथपन्थ के संसिद्धि के विचार तथा बाह्य आडम्बर के विरोध का वर्णन संगृहीत है। सातवें अध्याय में कुण्डलिनी जागरण के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन किया गया है। परिशिष्ट में विविध विषयों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक युवाओं के लिए तो अत्यन्त उपयोगी है ही साथ-ही-साथ नाथपन्थ के सिद्धान्तों के जिज्ञासुओं की पिपासा भी शान्त करने की क्षमता रखती है। इसलिए यह पुस्तक जगत् के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।

 'नाथ सम्प्रदाय : दर्शन कथा नाथपन्थ की' पुस्तक के बारे में

नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। ... गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं।