दीपावली पर पटाखे नहीं, किताबें !

दीपावली पर पटाखे नहीं, किताबें !

दीपावली के शुभ अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप की ओर से पाठकों के लिए विशेष ऑफ़र शुरू किया गया है।

अमेजॉन पर उपलब्ध वाणी प्रकाशन ग्रुप की सभी पुस्तकों पर 25% की छूट है। यह ऑफ़र 28 अक्टूबर से शुरू हो चुका है और 4 नवम्बर 2021 तक लागू है। 

वाणी प्रकाशन ग्रुप की सेल्स एंड मार्केटिंग हेड, दामिनी माहेश्वरी कहती हैं कि, 'ऐसे समय में जब वायु प्रदूषण घातक स्थिति में लगातार मनुष्यों की जीवन प्रत्याशा दर पर प्रहार कर रहा है, जब वायु प्रदूषण से विश्व के सभी देश ख़ासकर दक्षिण पूर्वी एशिया के देश बुरी तरह से जूझ रहे हैं तो हम एक छोटे-से प्रयास से अपने देश को प्रदूषित रहित बनाने में सहयोग क्यों नहीं कर सकते?

दामिनी माहेश्वरी

वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी के बहुआयामी प्रभाव दिख रहे हैं और इसने हमारे समक्ष दो दीर्घकालिक मुद्दे ज़रूर रख दिये हैं-जनसंख्या और प्रदूषण।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हवा की गुणवत्ता के कई मानक तय किये हैं पर इस कसौटी पर विशेषकर दक्षिण पूर्वी एशिया के देश जिसमें एक भारत भी है, इसके ज़्यादातर इलाक़े हवा की सुरक्षित मानी जाने वाली गुणवत्ता के दायरे से बाहर चले गये हैं। सिर्फ़ राजधानी दिल्ली के ही आँकड़ों की बात करें तो दिल्ली प्रदूषण नियन्त्रण समिति (डीपीसीसी) के द्वारा पिछले पाँच वर्षों में एकत्रित आँकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी का औसत पीएम 2.5 स्तर 'बहुत ख़राब' और 'गम्भीर' श्रेणी के बीच रहता है।'

पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, '15 अक्टूबर से एक नवम्बर के बीच प्रदूषण में व्यापक वृद्धि दर्ज की जाती है। पीएम 2.5 का औसत स्तर 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच जाता है।' उन्होंने कहा, 'इस दौरान वे सभी गतिविधियाँ काफी़ सक्रिय होती हैं, जिनसे प्रदूषण अधिक फैलता है। इस समय में पराली भी सबसे अधिक जलाई जाती है। पटाखे जलाने का धुआँ और धूल प्रदूषण भी होता है।'

दीपावली पर पटाखे नहीं, किताबें !

प्रदूषण हमारे पर्यावरण में हानिकारक और ज़हरीले पदार्थों की उपस्थिति को सन्दर्भित करता है। यह न केवल वायु प्रदूषण तक सीमित है, बल्कि जल निकायों, मिट्टी, जंगलों, जलीय जीवन और सभी भूमि जीवित प्रजातियों को भी प्रभावित कर सकता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए मुख्य कारक मानव उत्पन्न हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप दुनिया भर के स्थानों में अत्यधिक गर्म और ठण्डी जलवायु की स्थिति देखी जा रही है। प्राकृतिक जल संसाधनों की कमी के साथ अकाल और सूखा आम हो गया है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप गैलेक्टिक और ध्रुवीय बर्फ़ पिघल रही है, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ गया है और बाढ़ आ गयी है। साथ ही, समुद्री तापमान और प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने से समुद्री प्रजातियों का क्षय होता है जैसे – प्लैंकटन, कोरल फिश, सील, ग्रेट बैरियर रीफ आदि।

इस दीपावली पटाखे फोड़ें नहीं, बल्कि लम्बे समय तक बौद्धिक पटाखा बने रहें। उस पटाखे की रेसिपी में किताबों का 100% योगदान है और इस बात की गवाही इतिहास देता रहा है। तो इस दीपावली पटाखे नहीं, किताबें!