दया प्रकाश को 'सम्राट अशोक' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार

दया प्रकाश को 'सम्राट अशोक'

साहित्य अकादमी ने अपने प्रतिष्ठित वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की है। इस घोषणा के अनुसार हिन्दी भाषा के लिए प्रसिद्ध नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित नाटक 'सम्राट अशोक' के लिए वर्ष 2021 के प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।

पुरस्कृत नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने कहा,"यह पहली बार हुआ है कि साहित्य अकादेमी द्वारा किसी नाटककार को सम्मानित किया गया है। नाटक एक द्विआयामी विधा है। सम्राट अशोक नाटक साहित्य भी है और इसका सफलतापूर्वक मंचन भी हो चुका है।"

‘सम्राट अशोक’ के प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा,"जयशंकर प्रसाद के बाद महत्वपूर्ण समकालीन नाटककारों में दया प्रकाश सिन्हा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है जो स्वयं निर्देशक व अभिनेता रहे हैं। और यह पुरस्कार भारत की प्रमुख केंद्रीय साहित्यिक अकादेमी द्वारा श्रेष्ठ साहित्य के चयन का प्रतीक है।"

सनद रहे कि साहित्य अकादेमी पुरस्कार के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है कि नाट्य विधा को पुरस्कृत किया गया है। पहला पुरस्कार रमेश कुंतल की ‘विश्व मिथक सरित सागर’ को 2017 में दिया गया था, जो वाणी प्रकाशन ग्रुप से ही प्रकाशित है।

हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता है। पिछले पचास वर्षों में अभिनेता, नाटककार, निर्देशक, नाट्य-अध्येता के रूप में भारतीय रंगविधा को उनका योगदान अद्वितीय है। दया प्रकाश सिन्हा अपने नाटकों के प्रकाशन के पूर्व, स्वयं उनको निर्देशित करके संशोधित संवर्धित करते हैं। इसलिए उनके नाटक साहित्य एवं कलागत मूल्यों को सुरक्षित रखते हुए मंचसिद्ध होते हैं।

सम्राट अशोक भारतीय इतिहास का एक ऐसा चरित्र है जिस पर आज तक न जाने कितने उपन्यास, कहानियाँ, एकांकी, नाटक लिखे जा चुके हैं, और फ़िल्में बन चुकी हैं। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि 'सम्राट अशोक' अब तक इस चरित्र पर लिखी गयी सभी रचनाओं से बिल्कुल अलग न तो यहाँ कलिंग यद्ध को रेखांकित किया गया है, न अशोक और तिष्यरक्षिता अथवा कणाल और तिष्यरक्षिता प्रसंग को अहमियत गयी है, और न ही अशोक द्वारा बौद्धधर्म को स्वीकार लेने की घटना को ही मुखरित किया गया है। यह शायद पहला नाटक है, जिसमें अशोक के सिंहासन पर बैठने से लेकर उसके अन्तिम दिनों के क्षणों तक को समेटने की कोशिश की गयी है, जब वह तुगलक और शाहजहाँ की भाँति अपने ही कारागार में नितान्त अकेला होता जाता है। इस पूरे कार्य-व्यापार को नाटककार ने छोटे-बड़े बीस दयों के संयोजित किया है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा नाटककार दया प्रकाश सिन्हा के नाटकों की सूची इस प्रकार है - नाट्य समग्र-1 (हास्य-व्यंग्य एवं सामाजिक नाटक), नाट्य समग्र-2 (समकालीन नाटक), नाट्य समग्र-3 (ऐतिहासिक एवं पौराणिक नाटक), सम्राट अशोक, दुश्मन, हास्य एकांकी, मन के भँवर, मेरे भाई मेरे दोस्त, पंचतन्त्र, साँझ सवेरा, सादर आपका, अपने अपने दाँव, इतिहास, इतिहास-चक्र, कथा एक कंस की, सीढ़ियाँ, ओह अमेरिका! आदि।

साहित्य अकादेमी पुरस्कारों की परम्परा में पहली बार नाटक विधा को पुरस्कृत किया गया है और वाणी प्रकाशन ग्रुप इस एतिहासिक फैसले और चुनाव से प्रसन्न व गौरवान्वित है।