अलका सरावगी की दो पुस्तकों का लोकार्पण

अलका सरावगी की दो पुस्तकों का लोकार्पण

वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अलका सरावगी की दो पुस्तकों- 'कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिए' और 'तेरह हलफ़नामे' पर परिचर्चा समारोह का आयोजन साहित्य अकादेमी में सम्पन्न हुआ।

उत्तर-उपनिवेशवाद और अनुवाद अध्ययन के विद्वान हरीश त्रिवेदी ने लेखिका की प्रशंसा करते हुए कहा “अलका सरावगी हर बार ख़ुद को एक अच्छी कथावाचक साबित करती हैं”।

इस अवसर पर युवा आलोचक वैभव सिंह ने कहा -“कुलभूषण की कथा सिर्फ़ कुलभूषण की कथा नहीं है यह पूर्वी बंगाल के पीड़ितों की कथा है, ये एक ऐसे समय का उपन्यास है जिसमें धर्म और भगवान तक ने हमारा साथ छोड़ दिया है।”

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य वक्ता कहानीकार, कथा-आलोचक और कवि रोहिणी अग्रवाल ने कहा- “पुस्तकों में पात्र बहुत मिलते हैं लेकिन पात्र के भीतर मनुष्य को खोजना और मनुष्य के भीतर भविष्य गढ़ने वाले नायक को स्थापित करने की दृष्टि अलका के पास है इसलिए 'कुलभूषण का नाम दर्ज कीजिए' अपने समय का मील का मील का पत्थर है”।

अलका सरावगी की दो पुस्तकों का लोकार्पण

दोनों पुस्तकों की लेखिका अलका सरावगी ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा “मेरी कथाओं के जो पात्र है वो असल जीवन से लिए गये पात्र है, ये कोई मनगढ़ंत या बनाये हुए पात्र नहीं हैं। कुलभूषण के बारे में मैं जब सोचती हूँ लगता है कि हम सभी के जीवन में उस भूलने वाले बटन की आवश्यकता है। यह उपन्यास लिंगीय राजनीति से कोसों दूर है। विभाजन की पीड़ा और मनुष्य की मनुष्यता बचाने की जद्दोजहद को क़रीब से समझता है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने कहा- “कुलभूषण जैसा पात्र आपको हर घर में मिलेगा और तेरह हलफ़नामे की कुछ कहानियाँ अपने समय से आगे की कहानियाँ हैं।”

वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी भी इस समारोह में उपस्थित थे। उनका भी यही मानना था कि पुस्तक में इतिहास प्रेम और मानवीयता के साथ-साथ सबसे बड़ा जो गुण पाठ की निरन्तर पठनीयता है जिससे कि यह पुस्तक सुधी पाठकों के मध्य लोकप्रिय और प्रशंसित हुई। ऐसी ही पुस्तकें कालजयी कृतियों के रूप में जानी जाती हैं।

वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक, अदिति माहेश्वरी-गोयल ने सुव्यवस्थित और सुचारु रूप से कार्यक्रम का संचालन किया।