जाने-माने न्यूज़ एंकर पंकज भार्गव की पहली किताब ‘ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ का लोकार्पण 22 जुलाई को रॉयल नॉर्वेजियन एम्बेसी, नयी दिल्ली में भारत में नॉर्वे के राजदूत एच. ई. हंस याकोब फ्रीडनलुंद द्वारा किया गया।
लोकार्पण के उपलक्ष्य में भारत में नॉर्वे के राजदूत एच.ई. हंस याकोब फ्रीडनलुंद ने कहा, “मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि नॉर्वे के बारे में पहली बार यात्रा-वृत्तान्त की कोई पुस्तक हिन्दी में लिखी गयी है। आशा है कि इस पुस्तक के माध्यम से नॉर्वे एक मित्रता और आतिथ्य भाव रखने वाले राष्ट्र के रूप में और अधिक जाना जायेगा।”
वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा "मेरे विचार से ख़ानाबदोशियाँ वो हल्की–हल्की प्राकृतिक सुगन्ध का झोंका है जो जीवन स्वप्न को झकझोरता है। लगभग 25 वर्षों से समृद्ध हो रहा नॉर्वेजी साहित्य के साथ वाणी प्रकाशन ग्रुप का सम्बन्ध पंकज भार्गव की 'ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ के साथ एक नये मुक़ाम पर पहुँचेगा।"
पुस्तक के लेखक पंकज भार्गव ने कहा “मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरा यात्रा वृत्तान्त युवाओं को नॉर्वे की यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगा। ख़ानाबदोशियाँ यायावरी का रस है जो मेरे पाठकों को समर्पित है।"
रंगकर्मी व लेखिका रमा पाण्डेय ने कहा "ख़ानाबदोशियाँ एक मीठी सी किताब है। ऐसी मीठी किताबें जो वज़न में भी हल्की हो और आपको तनाव से मुक्त करती हो, ऐसी किताब के लिए पंकज भार्गव और वाणी प्रकाशन ग्रुप का धन्यवाद।"
कवि आलोक श्रीवास्तव ने कहा "जब एक विज़ुअल मीडियम का पत्रकार लिखता है तो उसकी लेखनी में ओब्सर्वेशन बहुत अच्छा होता है। दरअसल ख़ानाबदोशियाँ एक किताब नहीं बल्कि 70mm का सिनेमा है।"
वरिष्ठ लेखक भगवानदास मोरवाल ने कहा "पंकज भार्गव की किताब एक यात्रा संस्मरण है। इस तरह के और यात्रा संस्मरण भी हिन्दी में आने चाहिए।"
वरिष्ठ कवियत्री सुमन केशरी ने कहा "अपनी किताब में पंकज ने नॉर्वे के बारे में जो बताया उससे ऐसा लगा कि उनकी आँखों से उस शहर को देख लिया।"
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी व अंग्रेज़ी भाषा में वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया।