‘ख़ुद से जीत’ का लोकार्पण : इस पुस्तक से स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का नया दौर शुरु होगा

‘ख़ुद से जीत’ का लोकार्पण

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित सुपरिचित कवि-लेखक और सम्पादक सुन्दर चन्द ठाकुर की हेल्थ और फ़िटनेस के राज़ खोलती नयी पुस्तक ‘ख़ुद से जीत’ का लोकार्पण व परिचर्चा ‘कुंज़ुम कैफे’ नयी दिल्ली में हुआ। पुस्तक का लोकार्पण नवभारत टाइम्स, दिल्ली के स्थानीय सम्पादक सुधीर मिश्रा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की सूत्रधार वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल रहीं।

पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर 'ख़ुद से जीत' पुस्तक के लेखक सुन्दर चन्द ठाकुर ने कहा, जब फ़िटनेस की बात आती है तो यह बहुत ज़रूरी है कि हम शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों की बात करें तो रनिंग हमें शारीरिक और मानसिक रूप से ताक़तवर बनाती है। इससे हमारा दिल और फेफड़े और भी मजबूत बनते है। लेकिन सिर्फ़ रनिंग से ही हम पूर्ण फ़िटनेस नही पा सकते हैं। यह ज़रूरी है कि हम मेडिटेशन और प्राणायाम जैसी चीज़ों को भी अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या में शामिल करें। मेडिटेशन हमें मानसिक और आध्यात्मिक रूप से टायर करता है और हमारे दिमाग को शान्त बनाता है। और शान्त दिमाग़ ही शक्तिशाली होता है। दूसरी ओर प्राणायाम हमारे फेफड़ों को मजबूत करता है। लेकिन इसके साथ ही वह हमारे दिमाग़ पर भी काम करता है और स्ट्रेस व एंजाइटी जैसी बीमारियों से मुक्त करने में कारगर भूमिका निभाता है।

नवभारत टाइम्स, दिल्ली के स्थानीय सम्पादक सुधीर मिश्रा ने कहा ने लेखक सुन्दरचन्द ठाकुर से सवाल जवाब के दौरान कहा कि ‘ख़ुद से जीत’ किताब सिर्फ़ मैराथन दौड़ने की कहानी नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक चेतना की एक व्यक्ति के जीवन में क्या ज़रूरत होती है, इसे भी स्पष्ट करती है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने कहा हिन्दी भाषा में हेल्थ और फ़िटनेस पर किताबें या तो अनुदित पायी जाती है या फिर मौलिक नहीं होती है। 'ख़ुद से जीत' मूल किताब है और इस पुस्तक से स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का नया दौर शुरु होगा ऐसा हम मानते है। वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा युवा व वरिष्ठ पाठकों को हम यह पुस्तक समर्पित कर रहे हैं।

पुस्तक के बारे में :

इस पुस्तक में सुन्दर चन्द ठाकुर ने अपनी फ़िटनेस यात्रा और उससे जुड़े अनुभव साझा किये हैं। यहाँ सिर्फ़ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया गया है। एक लाइफ-कोच, मित्र की तरह ठाकुर ने व्यावहारिक और सरल भाषा में आत्मविश्वास, ट्रेनिंग, योग और ध्यान पर ज़रूरी बातें सामने रखी हैं। जीवन क्या है? जीवन की उपलब्धियाँ क्या हैं? जीवन के संघर्ष, उसकी सीमाएँ, उसकी अनन्तता क्या है? जब मनुष्य इन प्रश्नों पर विचार करता है तब यह वह स्थिति होती है जो उसे आत्मकेन्द्रित करती है। इस स्थिति में मनुष्य स्वयं से संवाद करता है। कभी ख़ुद को परिष्कृत करता है तो कभी स्वयं को नकार भी देता है। इसी प्रक्रिया के द्वारा ही मनुष्य उन बिन्दुओं पर अपना ध्यान लगाता है जहाँ वह अपने विचारों को टटोलता हुआ बाहरी प्रभावों और दवाबों  से स्वयं को मुक्त करता है। जिस समय मनुष्य अपने आन्तरिक बन्धनों से मुक्त होता है। उसी समय उसके भीतर एक नवीन और परिष्कृत मानव की निर्मिति होती है। सुन्दर चन्द ठाकुर की कृति ‘ख़ुद से जीत’ उन्हीं स्वप्नों पर जीत की कथा है जिन्हें एक सचेत मानव ही अपने साहस और बौद्धिक बल से हक़ीक़त में बदल पाता है।

‘ख़ुद से जीत’ का लोकार्पण

कवि-कथाकार व पत्रकार हरि मृदुल ने पुस्तक की प्रशंसा में कहा है कि कोई हिन्दी कवि-कथाकार या पत्रकार सामान्य धावक बनने की भी सोचे, यह एक दुर्लभ स्थिति होती है। और फिर दक्षिण अफ्रीका की 90 किलोमीटर की विश्वविख्यात कॉमरेड मैराथन में सफलतापूर्वक भागीदारी, वह तो कल्पनातीत ही है!! लेकिन हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार सुन्दर चन्द ठाकुर ने यह अविस्मरणीय कारनामा कर दिखाया। स्वाभाविक रूप से इस तरह वह कॉमरेड मैराथन पूरी करनेवाले एकमात्र भारतीय लेखक होने का कीर्तिमान अपने नाम कर चुके हैं।

यह कृति कई मायनों में अनुपम है। विभिन्न विधाओं में आवाजाही करती और कथेतर गद्य का अनूठा आस्वाद देती इस किताब में मैराथन दौड़ने की बारीक बातें तो हैं, ही जीवन दर्शन की बड़ी बातें भी सहजता से शामिल हैं। इस एक ही कृति में कई-कई मैराथन हैं, क़िस्से पर क़िस्से हैं, कथा किरदारों की तरह दोस्तों की मौजूदगी है, हास्य बोध के साथ मध्यवर्गीय जद्दोजहद है और जीवन के कितने ही खट्टे-मीठे अनुभव हैं। यह किताब ज़िन्दगी को आनन्द से जीने के कई नायाब सूत्र देती है और कवियों-लेखकों-पत्रकारों से गुज़ारिश करती है कि महज़ 'काग़ज़ी धावक' नहीं, रियल में भी रनर बनो।

लेखक के बारे में :

सुन्दर चन्द ठाकुर का जन्म उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ ज़िले में हुआ। उनकी शिक्षा बी.एससी., मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा है। पाँच साल भारतीय सेना में अफ़सर व  सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना अभियान में शामिल रहे। सेना से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद नवभारत टाइम्स, दिल्ली में। 2010 से नवभारत टाइम्स, मुम्बई के स्थानीय सम्पादक। उनकी चर्चित पुस्तकें (कविता संग्रह) ‘किसी रंग की छाया’ (2001), ‘एक दुनिया है असंख्य’ (2013); (कहानी संग्रह) ‘डिम्पल वाली लड़की और बौद्धिक प्रेमी’ (2016); (उपन्यास) ‘पत्थर पर दूब’ (2012); (अनुवाद) ‘एक अजब दास्तां’ (रूसी कवि येव्गिनी येव्तुशेंको की जीवनी 'अ प्रिकोसियस बायोग्राफ़ी' का हिन्दी अनुवाद)। आपको भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का युवा पुरस्कार, उपन्यास ‘पत्थर पर दूब’ के लिए इन्दु शर्मा कथा यूके इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। दक्षिण अफ़ीका में 90 किलोमीटर की कॉमरेड मैराथन समेत लगभग 50 मैराथनों में दौड़ चुके हैं। दौड़ की इसी यात्रा पर हिन्दी में अपनी तरह की पहली किताब ‘खुद से जीत’। अध्यात्म, मोटिवेशन और समसामयिक विषयों पर नवभारत टाइम्स, मुम्बई में पिछले 6 सालों से दैनिक स्तम्भ 'अन्तर्ज्ञान' और साप्ताहिक स्तम्भ 'अन्तर्दृष्टि' का लेखन। अपने यूट्यूब चैनल Mindfit के ज़रिये युवाओं को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान की राह पर जाने को प्रेरित कर रहे हैं।