समय पत्रिका का सितम्बर अंक

समय पत्रिका

समय पत्रिका के इस अंक में एक बेहद खास किताब की चर्चा की गई है। ‘रिपोर्टिंग इंडिया' भारतीय पत्रकारिता जगत्‌ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, प्रेम प्रकाश के जीवन और समय का एक रोचक वर्णन है। एक फोटोग्राफर, फिल्म कैमरामैन और स्तंभकार के रूप में प्रकाश ने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं को कवर किया और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों, सैन्य तख्तापलट और उग्रवाद के गवाह भी बने।

अंकुर वारिकू की चर्चित पुस्तक ‘बड़ा सोचें, बड़ा करें’ हमें जीवन में जोखिम लेने, असफलताओं से सीखने और आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। इस पुस्तक का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने किया है।

अकु श्रीवास्तव की पुस्तक ‘सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का’ भारत के राजनीतिक दलों का लेखा-जोखा है। इसमें उन्होंने क्षेत्रीय दलों को राजनीति की दिशा बदलनेवाला बताया है।

अनुराधा बेनीवाल की नई किताब ‘लोग जो मुझमें रह गए’ एक ऐसी किताब है जिसमें उनकी यात्राओं के दौरान जो लोग उन्हें मिले, जिनकी छाप उनपर पड़ी और जिनको उन्होंने प्रभावित किया, उनके किस्से-कहानियों को उन्होंने इसमें दर्ज किया है। यह घुमक्कड़ी पर लिखी उनकी पहली बेहद चर्चित किताब ‘आज़ादी मेरा ब्राण्ड’ के बाद दूसरी किताब है। यह किताब एक दुनिया के भीतर दूसरी दुनिया की तलाश करती है, एक देश के भीतर दूसरे देश की खोज करती है। 

अमित गुप्ता का उपन्यास ‘देहरी पर ठिठकी धूप’ समलैंगिकता और उससे उपजे द्वंद्व पर आधारित है। 

आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘मृत्यु-कथा’ में बस्तर के आदिवासी, नक्सली, पुलिस की दिल को छू लेने वाली कहानियाँ हैं। 

साथ में पढ़ें नई किताबों की चर्चा।

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