'मैनेजर पाण्डेय का जाना न केवल हिन्दी साहित्य आलोचना के लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज की अपूरणीय क्षति है'

प्रो. मैनेजर पाण्डेय

प्रख्यात आलोचक प्रो. मैनेजर पाण्डेय का निधन 6 नवम्बर 2022 को हुआ। उनकी स्मृति में शोक सभा का आयोजन 9 नवम्बर 2022 को वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नयी दिल्ली में किया गया।

स्व. मैनेजर पाण्डेय की स्मृति सभा का आरम्भ प्रसिद्ध शास्त्रीय, सूफ़ी गायिका रश्मि अग्रवाल ने कबीर और नरसी मेहता के भजनों से किया।

मैनेजर पाण्डेय को याद करते हुए वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने शोक व्यक्त कर कहा कि उनका जाना न केवल हिन्दी साहित्य आलोचना के लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज की अपूरणीय क्षति है। उन्होंने प्रो. पाण्डेय को बरेली से जेएनयू में अध्यापन कार्य में आने और साहित्यिक शिक्षण में एक नवाचार को लाने वाले दूरदर्शी शिक्षक के रूप में याद किया। साथ ही उन्होंने उनकी शिक्षण प्रणाली और आत्मीय भाव व सम्बन्ध निर्वहन के गुणों की प्रशंसा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

प्रो. देवशंकर 'नवीन' ने प्रो. पाण्डेय की शिक्षा और आत्मसंघर्ष पर बात रखी और जेएनयू के दिनों को याद किया। उन्होंने जनकवि नागार्जुन स्मृति संस्थान को स्थापित करने में आने वाली कठिनाइयों का ज़िक्र कर प्रो. पाण्डेय के सक्रिय सहयोग की सराहना करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

वरिष्ठ आलोचक रविभूषण ने प्रो. पाण्डेय जी के साथ अपने सम्बन्धों को याद कर उनके साहित्य रचना कर्म पर प्रकाश डाला और कहा कि उनका आलोचकीय कर्म बहुलाख्यक है। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. अल्पना मिश्र ने प्रो. पाण्डेय को बहुश्रुत विद्वान बताते हुए उनकी जिजीविषा की प्रशंसा की।

कला समीक्षक डॉ. ज्योतिष जोशी ने उनके शिक्षकीय जीवन और आलोचना कर्म पर बात करते हुए उनके व्यक्तिगत जीवन को त्रासदियों का महाव्रतांत बताया। प्रो. पाण्डेय जी के शिष्य रहे डॉ. जितेन्द्र श्रीवास्तव ने प्रो. पाण्डेय को दार्शनिक आलोचक बताते हुए शिष्यों के उदार व्यवहार की चर्चा की।

प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने उनके सहज स्वभाव की चर्चा करते हुए कहा कि असहमतियों को स्वीकार करने का साहस प्रो. पाण्डेय जी में जैसा था वैसा हिन्दी साहित्य में विरल ही देखने को मिलता है। प्रो. श्यौराज सिंह बेचैन ने 90 के दशक के दिनों के शुरुआती वर्षों में जब विमर्शों में बात चलने लगी तब रमणिका गुप्ता  की पत्रिका के प्रत्येक अंक के परामर्शदाताओं में पहले होते थे।

प्रो. मैनेजर पाण्डेय

उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल प्रो. मैनेजर पाण्डेय की सहृदयता को याद करते हुए उनकी साहित्येत्तर अनुशासनों में उनकी अद्भुत दखल की चर्चा की। आकाशवाणी के राजीव प्रताप शुक्ल ने आकाशवाणी के दिनों को याद करते हुए प्रो. पाण्डेय जी के वार्ताओं का ज़िक्र किया।

डॉ. रूपा सिंह जी ने प्रो. पाण्डेय और जेएनयू के दिनों को याद करते हुए कहा उनके जैसा लोकतांत्रिक और अपने साथियों व शिष्यों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखने वाला कोई दूसरा न हुआ। उनको अपनी मिट्टी से गहरा लगाव था और उन्होंने सुदूर देहात की स्त्रियों  को भी उच्च शिक्षा के लिए सदैव प्रेरित किया। 

प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव विनीत तिवारी ने भी प्रो. मैनेजर पाण्डेय की जनवादी प्रतिबद्धता की तारीफ़ करते हुए, प्रो. पाण्डेय के निधन को हिन्दी ही नहीं अपितु देश के बौद्धिक जमात की क्षति बताया।

स्मृति सभा के आयोजक वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने उनसे अपने पुराने सम्बन्धों का ज़िक्र करते हुए, वाणी प्रकाशन ग्रुप से उनके आत्मिक और रचनात्मक सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वाणी से  प्रो.पाण्डेय की तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं।

मैनेजर पाण्डेय की सुपुत्री डॉ. रेखा पाण्डेय ने अपने पिता के अन्तिम तीन वर्षों की स्थिति पर बात करते हुए बताया कि कोविड काल और उससे जनित स्थितियों से पिताजी काफ़ी आहत रहते थे। लेकिन वह परिस्थितियों से जल्दी हार मानने वाले व्यक्ति नहीं थे। पर इस बार वह अपनी वैचारिकी और लेखनी को हम सबकी थाती के रूप में सौंप गये हैं अब वही आलम्बन है। वहीं डॉ. चन्द्रा जी ने कहा कि प्रो. पाण्डेय में सच के साथ खड़ा रहने का साहस था। वह पारिवारिक जीवन और प्रेम को सार्वजनिक जीवन में साथ लेकर चले। शोक सभा में औपचारिक धन्यवाद वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया।

मंच संचालन सत्यवती कॉलेज के प्रो डॉ. मुन्ना कुमार पाण्डेय ने किया। स्मृति सभा में अकादमिक, कला, पत्रकारिता व अन्य क्षेत्रों के लोगों ने शिरकत की।