नयी दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के 'साहित्य घर उत्सव' में पहले दिन कई नई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ जिसमें संगीता गुंदेचा का कविता संग्रह 'पडिक्कमा', डॉक्टर भूपेन्द्र कुमार संजय का भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 'उपहार संदेशों का' किंशुक गुप्ता का कहानी संग्रह 'ये दिल है कि चोर दरवाज़ा' और अनुराधा सिंह का कविता संग्रह 'उत्सव का पुष्प नहीं हूँ' शामिल है।
सर्वप्रथम संगीता गुंदेचा की पुस्तक का लोकार्पण किया गया जिसमें खालिद जावेद, उदयन वाजपेयी, भज्जू सिंह श्याम ने अपने विचार व्यक्त किए। उसके बाद संगीत गुंदेचा ने काव्यपाठ किया। खालिद जावेद ने पुस्तक की कविताओं के विषय में बताया कि "कविता दलदल में चप्पू चलाने का काम है।"
अगले कार्यक्रम के रुप में डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय के कविता संग्रह उपहार संदेश का लोकार्पण किया गया जिसमे डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरूण, श्रीनिवास त्यागी, डॉ विजय कुमार मिश्र एवम् जनार्दन मिश्र ने कविता संग्रह पर अपने विचार व्यक्त किये। अगले कार्यक्रम के रुप में किंशुक गुप्ता के कहानी संग्रह ये 'दिल है की चोर दरवाजा का' लोकार्पण किया गया। कहानी संग्रह पर पंकज बिष्ट, बलवंत कौर, अनिल यादव ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन वैभव शर्मा ने किया। इस पुस्तक की सभी कहानियां LGBT+ समुदाय को केंद्र में रख कर लिखी गयी है।
अगले कार्यक्रम के रुप में अनुराधा सिंह के कविता संग्रह "उत्सव का पुष्प नही हूं" का लोकार्पण किया गया। कविता संग्रह पर असद जैदी, सविता सिंह, रविन्द्र त्रिपाठी ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन संतोष अर्श ने किया।
सभी कार्यक्रमों का आयोजन वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर’ मंच पर हुआ। जिसमें अतिथियों का स्वागत अरुण माहेश्वरी एवम् अदिति माहेश्वरी गोयल ने शाल ओढ़ाकर किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाठक मौजूद रहें।