"प्रेम एक मनोवैज्ञानिक खेल है और मनोवैज्ञानिकता हमारी राजनीति, बाजार, समाज का हिस्सा है"

विश्व पुस्तक मेला 2023

नयी दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में पिछले दिनों से चल रहे विश्व पुस्तक मेला 2023 के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर उत्सव’ में कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की पुस्तक ‘वे नायाब औरतें’ कथाकार, समीक्षक, अनुवादक, और सम्पादक डॉ. सीतामणी वैश्य का वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘रुक्मिणी - हरण नाट’,  लेखक डॉ. सुनील कुमार शर्मा की उद्योग के इतिहास पर आधारित पुस्तक ‘उद्योग 4.0’, वरिष्ट कवि बरमेश्वर राय का काव्य संग्रह 'बातें तेरी भी मेरी भी', उपन्यासकार अणुशक्ति सिंह का उपन्यास ‘शर्मिष्ठा कुरु वंश की आदि विद्रोहिणी’, और पत्रकार और लेखक जयंती रंगनाथन द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘कामुकता का उत्सव प्रणय, वासना और आनंद की कहानियां’ का लोकार्पण हुआ।

विश्व पुस्तक मेला 2023

हिंदी की वरिष्ठम लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक मृदुला गर्ग हैं। कठगुलाब, चितकोबरा, मैं और मैं, आदि रचनाओं को लिखने वाली मृदुला गर्ग का वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित संस्मरण 'वे नायाब औरतें' का लोकार्पण और परिचर्चा 'साहित्यघर' में किया गया। ‘वे नायाब औरतें’ किताब यादों के सहारे चल रही आपबीती है। परिचर्चा में शामिल आलोचक एवं पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी ने संस्मरण के विषय में बात करते हुए कहा कि “यह संस्मरण कई घरों में घटी घटनाओं का वर्णन है जिसमें कई नायाब औरतें है” संस्मरण में मनोवैज्ञानिक पहलू पर बात की गई है जिसके विषय में चर्चा करते हुए मृदुला गर्ग ने कहा कि “जब बाजार आपको चुनने कि स्वतंत्रता नहीं देता तब वो बस थोपता है, जो एक प्रकार की मनोवैज्ञानिकता है।” इसी के साथ उन्होने बताया कि जिंदगी एक मनोवैज्ञानिक खेल है। प्रेम भी एक मनोवैज्ञानिक खेल है और मनोवैज्ञानिकता हमारी राजनीति, बाजार, समाज का हिस्सा है और इसी तरह ही ये हमारे लेखन का भी हिस्सा है। 

विश्व पुस्तक मेला 2023

गोहाटी विश्वविद्यायल की प्रोफेसर डॉ. सीतामणी वैश्य की पुस्तक ‘रुक्मिणी - हरण नाट’ का लोकार्पण किया गया जो महापुरुष श्रीमन्त शंकरदेव द्वारा असमिया में कृत ‘रुक्मिणी - हरण नाट’ का हिन्दी रुपांतरण है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज की हिन्दी विभाग की एसोसिएट प्रोफे़सर डॉ. ज्योति शर्मा ने पुस्तक के विषय  में बताया कि ये पुस्तक भक्ति आंदोलन में महापुरुष शंकरादेव अहम अहम योगदान  को बताती है । 

यह भी कहा कि “ ये पुस्तक भारत की  संस्कृत विविधताके सम्बंधों के बीच सेतु का काम कर रही है।” प्रोफेसर डॉ. एश्वर्या ने बताया कि “शंकरदेव एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा से हाशिए पर रहे हैं जिसे इस पुस्तक के जरिए लोगों के समक्ष रखा है।”  यह भी बताया की नाटक का यह असमीय भाषा का नाटक  हिन्दी अनुवाद अब इसे एक भाषा तक सीमित नही रखेगा और जो लोग शंकर देव को हिन्दी में  जानना पढ़ना चाहते हैं उनके लिए ये पुस्तक उपयोगी साबित होगी । कार्यक्रम का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय से शोधकार्य कर रही मीनाक्षी ने किया।  

विश्व पुस्तक मेला 2023

अगले कार्यक्रम के रूप में वरिष्ठ कवि बरमेश्वर राय के काव्य संग्रह  ‘बातें तेरी भी मेरी भी’ का पाठकों के समक्ष लोकार्पण किया गया जिमसें उग्र मोहन झा जी ने पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए बताया कि  यह काव्य संग्रह सामान्य जीवन कि विभिन्न घटनाओं का दर्पण है और कहा कि " यह संग्रह, स्वान्त सुखाय के लिए लिखा गया काव्य संग्रह है।" इसी के साथ अगले वक्ता राजेश मोहन झा ने पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए बताया कि यह काव्य संग्रह सामान्य जीवन कि विभिन्न घटनाओं का दर्पण है और कहा कि "यह संग्रह, स्वान्त सुखाय के लिए लिखा गया काव्य संग्रह है।" इसी के साथ अगले वक्ता राजेश मोहन झा ने संग्रह के बारे मे कहा कि "बातें तेरी भी मेरी भी जमीन से जुड़ी हुई रचना है जब आप इन्हें पढ़ेंगे तो आपको एहसास होगी कि ये आप पर ही लिखी गयी रचना है।" इसके बाद बामेश्वर राय ने अपनी रिटायरमेंट के बाद लिखी कविता 'बचपन वापस' कविता का काव्य पाठ किया और वाणी प्रकाशन ग्रुप के निदेशक अरुण माहेश्वरी, अदिति माहेश्वरी गोयल, अपने मित्रों और पाठकों का आभारज्ञापन किया।  कार्यक्रम का संचालन  प्रसिद्ध वक्ता व समाज सेविका रिचा जायसवाल ने किया। 

विश्व पुस्तक मेला 2023
कार्यक्रम के अगले चरण की ओर अग्रसर होते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम वाणी बिजनेस से प्रकाशित  लोक सेवक,शोधकर्ता और लेखक डॉ. सुनील कुमार शर्मा कि डिजिटल क्रांति से उभरती  प्रौद्योगिक क्रांति पर आधारित पुस्तक ‘उद्योग 4.0’ का लोकार्पण व आवरण का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में वक्ता के रुप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. श्रीनिवास त्यागी, ब्रेथवेट एंड कम्पनी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक यतीश कुमार और कवि एवं अध्येता प्रांजल धर शामिल हुए।  इस मशीनी युग में पुस्तक की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उद्योग क्रांति, मशीन, इंटरनेट आदि के बारे में अक्सर अंग्रेजी में तो पढ़ने के बारे में मिलता है पर हिन्दी नें इन विषय पर कम ही लिखा गया है ऐसे में यह पुस्तक हिन्दी पाठकों के लिए मददगार साबित होगी और औद्योगिक क्रांति के इतिहास पर प्रकाश डालेगी। कार्यक्रम का संचालन वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी गोयल द्वारा किया गया।

श्रीनिवास त्यागी ने पुस्तक की भाषा की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिन विषयों में लोग मुख्यतः अंग्रेज़ी में लिखना पसंद करते हैं उस विषय पर डॉ सुनील कुमार शर्मा ने हिंदी में लिखना पसंद किया। उन्होंने औद्योगिक क्रांति के इतिहास प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान में यह अपने चर्मोत्कर्ष पर है और 4.0 की नीति को आर्थिक गुलामी से निजात पाने का रास्ता बताया। यतीश कुमार ने  पुस्तक लेखक के संदर्भ में कहा कि एक कवि जब तकनीक की बात करता है तो उसमें तरलता और सहजता स्वयं उपस्थित हो जाती है। इन्होंने भांप के इंजन को पहली औद्योगिक क्रांति की शुरुआत बताया और कहा कि विश्व ने इस प्रस्थान बिंदु से नए उद्योग को समझना शुरू किया। वाणी प्रकाशन ग्रुप के विशेष उपक्रम वाणी बिज़नेस से प्रकाशित यह पुस्तक हिन्दी में उद्योग क्रान्ति पर पुस्तकों के अभाव की आपूर्ति करती है।

अगले कार्यक्रम में युवा उपन्यासकार अणुशक्ति सिंह का उपन्यास ‘शर्मिष्ठा कुरु वंश की आदि विद्रोहिणी’ का लोकार्पण हुआ। उपन्यास के विषय में बात करते हुए कार्यक्रम में शामिल वक्ता कथाकार गीताश्री ने बताया कि ‘यह उपन्यास जिस तरह से भारतीय स्त्रियों का जीवन मिथकों से प्रभावित रहा है। इतिहास ने सशक्त महिलाओं की सही ढंग से शिनाख्त नहीं की, उन्हें लोगों के सामने उजागर करने का प्रयास किया है।’   

पत्रकार और लेखक जयंती रंगनाथन द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘कामुकता का उत्सव प्रणय, वासना और आनंद की कहानियां’ का लोकार्पण किया गया। पुस्तक की प्रासंगता के विषय में बताते हुए मंच संचालन करती लेखिका व कवयित्री सरिता निर्झरा ने बताया कि “इस किस्म का साहित्य में होना बहुत जरुरी है। स्त्री की शारीरिक जरुरते दिखाई गई है।” वक्ता नरेंद्र सैनी ने कहा “जो कुछ समय पहले गंदी बात होती थी अब वो जरुरी बात हो गई है,अगर वो दोनों लोगों की सहमती से हो तो।” नरेन्द्र सैनी ने बताया की एक पहल की जरुरत थी जो इस पुस्तक के माध्यम से की गई है। अनुशक्ति ने कामुकता शब्द के अर्थ को बताते हुए कहा की एक विशेष क्रिया को बहुत ही प्रेम से करना कामुकता है अन्यथा वो रेप कहलाता है।     

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाठक मौजूद रहे।