नयी दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में पिछले तीन दिनों से चल रहे विश्व पुस्तक मेला 2023 के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर उत्सव’ में कई पुस्तकों के नए संस्करणों का लोकार्पण किया गया। बहुचर्चित लेखिका व शिक्षाविद् डॉ. लीना झा का भारतीयत ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह ‘शिउली के फूल’ का दूसरा संस्करण, सुपरिचित कवि लेखक और सम्पादक सुन्दर चन्द ठाकुर की फ़िटनेस के राज़ खोलती किताब ‘ख़ुद से जीत’ का नया संस्करण, प्रख्यात कवयित्री गगन गिल का कविता संग्रह 'अंधेरे में बुद्ध' का आठवें संस्करण और साथ ही वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अकु श्रीवास्तव की पुस्तक ‘उत्तर उदारीकरण के आन्दोलन’ का लोकार्पण हुआ।
डॉ. लीना झा के काव्य संग्रह ‘शिउली का फूल’ का लोकार्पण हुआ जिसमें मंच का संचालन करती ऑल इंडिया रेडियो की वरिष्ट प्रसारणकर्मी अनीता ठाकुर ने उन्हें उनके दूसरे संस्करण के लिए बधाई देते हुए कहा कि ‘शिउली के फूल’ काव्य संग्रह महिलाओं की आंतरिक शक्ति को उजागर करती हैं। तत्तपश्चचात लीना झा ने काव्य संग्रह के शीर्षक ‘शिउली का फूल’ की सार्थकता व्यक्त करते हुए कहा कि एक स्त्री का व्यक्तित्व शिउली के फूल जैसा होता है। हर प्रकार की परिस्थितियों के अनुकुल विसंगति पर जीत हासिल कर जिजिविषा के साथ बने रहना एक स्त्री का मूल भाव है। जैसे शिउली के फूल, पत्ते, उसकी छाल सब कुछ किसी न किसी रूप में काम आता है जैसे एक स्त्री जिसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है ये स्त्री की खूबी होती है। लीना झा ने कविता के विषय में कहा कि “कुछ कविताएं ख़ुद मेरे पास आती हैं।” अंत में लीना झा ने अपने काव्य संग्रह की एक कविता का काव्य पाठ भी किया।
वर्ष 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता के प्रकाशित होते ही गगन गिल की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक इनकी रचना देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के अध्येताओं,पाठकों औऱ आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए इनका कविता संग्रह ‘अंधेरे में बुद्ध’ का आठवें संस्करण का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम के अगले चरण के क्रम में दक्षिण अफ्रिका में 90 किलोमीटर की विश्वविख्यात कॉमरेड मैराथन पूरी करने वाले भारत के एकमात्र लेखक की मैराथन दौड़ का रोमांचक सफर तय करने वाले सुन्दर चन्द ठाकुर की फ़िटनेस के राज़ खोलती किताब ‘ख़ुद से जीत’ का लोकार्पण हुआ। पुस्तक के विषय में वरिष्ठ लेखक व पत्रकार अनिल यादव और सुंदर चन्द ठाकुर ने पाठकों की उपस्थिती में परिचर्चा भी की। सुन्दर चन्द ठाकुर ने पुस्तक के संदर्भ में बताया कि कैसे उन्होनें रविन्द्रनाथ ठाकुर को अपना गुरु मानकर लेखन की शुरुआत की। इसी के साथ सुन्दर चन्द ठाकुर ने दौड़ने और शारिरिक गतिविधियों के फायदे बताते हुए कहा कि “दौड़ना आपके अंदर असिमित क्षमताएँ भर देता है।” उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने दौड़ने की शुरुआत ही फुल मैरॉथन से की जबकि समान्यत: अन्य लोग छोटी दौड़ से शुरु करते हैं।
अगले कार्यक्रम के रूप में वरिष्ठ पत्रकार व समालोचक अकु श्रीवास्तव की पुस्तक का लोकार्पण किया गया। अकु श्रीवास्तव की ये पुस्तक उदारीकरण के बाद के आंदोलनों की धीमी रफ्तार पर आधारित है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने ढाई साल कि रिसर्च के बाद इस किताब की रचना की। कार्यक्रम में वक्ता के रुप में वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी भटनागर, आशुतोष, संदीप राउज़ी शामिल रहे। अश्विनी भटनागर ने राम आंदोलन के बारे में बताया कि “यह एक ऐसा आंदोलने रहा जिसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोगों ने भाग लिया।" आशुतोष ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि “शहरीकरण की प्रकिया ने भारतीय समाज के बदल डाला है। इस बदलाव की बानगी स्त्री और पुरुष के बदले हुए संबंधो में नजर आई। इसी के साथ लोकतंत्र, संचार और समाज के स्वरूप भी बदले। इसी बदलाव को समझने की एक मुक्कमल कोशिश है ये पुस्तक।'' तत्पश्चात कार्यक्रम के समापन में अकु श्रीवास्तव ने वाणी प्रकाशन ग्रुप के निदेशक अरुण माहेश्वरी, अदिति माहेश्वेरी गोयल, वक्ताओं और पाठकों का आभार ज्ञापन करते हुए समाज में आंदोलनों की महत्वपूर्णता पर जोर दिया।
सभी कार्यक्रमों का आयोजन वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर’ मंच पर हुआ जिसमें अतिथियों का स्वागत अरुण माहेश्वरी एवं अदिति माहेश्वरी गोयल ने शॉल उढ़ाकर किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाठक मौजूद रहें।