नयी दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में पिछले दिनों से चल रहे विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्यघर उत्सव’ में कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। वरिष्ठ लेखक हरियश राय के उपन्यास ‘दहन’, मोटिवेशनल स्पीकर एवं लेखक प्रो. संजय सिंह बघेल वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आसमाँ से आगे’, आलोचक वैभव सिंह की नवजागरण पर आधारित पुस्तक ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर उपन्यास, स्त्री और नवजागरण’, साहित्यकार ,लेखक और दलित चिंतक प्रोफेसर श्यौराज सिंह 'बेचैन' की कहानी संग्रह 'हाथ तो उग ही आते हैं', और चर्चित कथाकार एस. आर. हरनोट की पुस्तक 'नदी रंग जैसी लड़की' और ‘कीलें’ का लोकार्पण हुआ।
सबसे पहले वरिष्ठ लेखक हरियश राय के ताज़ातरीन उपन्यास ‘दहन’ के लोकार्पण से शुरुआत की गई। यह उपन्यास धर्मवाद, सम्प्रदायवाद और सामंती सोच की त्रासदीपूर्ण स्थितियों के साथ-साथ अन्धविश्वास पर बेबाकी से अपनी बात कहता है। कभी कभी प्रेम विवाह कैसे किसी के लिए एक छलावा साबित हो जाता है और किसी के जीवन में कैसे विष घोल देता है उपन्यास में बताया गया है। मंच संचालन करते लेक्चलर एवं रंगकर्मी डॉ. अशोक तिवारी ने कहा कि “समसामयिक स्थितियों पर यह एक बेहतरीन उपन्यास है।” देश की तस्वीर को सामने रखने का बेहतरीन प्रयास किया है इसी के साथ उपन्यास ने देश की चरमराती भारतीय शिक्षा पद्धति पर भी सवाल उठाया है। कार्यक्रम में शामिल वक्ता महेश दर्पण ने कहा "यह उपन्यास मनुष्यता कि खोज कि कहानी है। उपन्यास की प्रासंगिकता बताते यह ये उपन्यास पुरुष के द्वारा स्त्री के पक्ष में लिखा गया उपन्यास है।” जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा "सांस्कृतिक दिवालियापन पर गहरा प्रभाव करता है यह उपन्यास।"
मोटिवेशनल स्पीकर एवं लेखक प्रो. संजय सिंह बघेल वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आसमाँ से आगे’ का लोकार्पण किया गया जिसमें संजय बघेल ने बताया की ये उपन्यास लिखने की जिजीविषा ने करोना काल में ये किताब लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जिसकी प्रशंसा करते हुए आलोचक गोपेश्वर ने पुस्तक के विषय मे कहा कि "हिन्दी के क्षेत्र में संभावनाओं कि नयी उड़ान हैं।" संजय सिंह को बधाई देते हुए बताया कि ‘उड़ान आसमान से’ कार्यक्रम में मौजूद जानकी प्रसाद शर्मा बताया की इस उपन्यास में आजादी के बाद की घटित राजनैतिक और समाजिक घटनाओं का वर्णन है। इस पुस्तक के माध्यम से व्यक्ति अपने आप से कैसे साक्षात्कार करें और अपने भीतर की छिपी प्रतिभाओं को कैसे पहचाने ये एक मोटिनेशन किताब है।
आलोचक वैभव सिंह की नवजागरण पर आधारित पुस्तक ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर उपन्यास, स्त्री और नवजागरण ’ का लोकार्पण हुआ। प्रोफेसर राधा चक्रवर्ती ने पुस्तक के बारे में बताया की यह कृति टैगोर कि एक अलग दृष्टि को प्रस्तुत करती है और समाज के यथार्थ को दिखाने का काम किया है। इसी के साथ ये भी बताया की कैसे टैगोर के उपन्यासों में स्त्री चरित्र का उन्मेष भी देखने को मिलता है और आज रवीन्द्रनाथ के उपन्यासों का पुन: पाठ आवश्यक है। वैभव सिंह ने अपनी इस कृति के बारे में कहा कि “यह किताब अचानक से पैदा हुई है। कुछ परिस्थितियोंवश टैगोर के रचना संसार में इनका प्रवेश हुआ।” कार्यक्रम का संचालन रमाशंकर सिंह ने किया।
लेखक और दलित चिंतक प्रोफेसर श्यौराज सिंह बेचैन के कहानी संग्रह 'हाथ तो उग ही आते हैं' का लोकार्पण हुआ। श्यौराज सिंह बेचैन ने पाठकों के संग कहानी संग्रह की अपनी स्मृतियों को साझा किया। कहानी संग्रह के शीर्षक के पीछे के भाव को बताते हुए कहा जो लोग कुछ करना चाहते हैं वो लोग कहीं से भी पैदा हो सकते हैं उनके हाथ कुछ देने आ रहे हैं और ये एक सकारात्मक सोच या रूप दिया जा रहा है । अगर आप मृत्यु के नजदीक आ गए हैं तो भी ये कहानी आपको सकारात्मकता कि ओर ले जाएगी और ये भी कहा कि “इस कहानी के संग्रह से मैं अपने अनुभवों को ला रहा हूं।” कहानी संग्रह एक स्त्री की समस्याओं को लेकर आगे बढ़ती है और साथ ही साथ कहानियों मे लोकमन देखने को मिलता है।कार्यक्रम में डॉ. वंदना ने प्रोफेसर श्यौराज सिंह से 'हाथ तो उग ही आते हैं' कहानी संग्रह पर प्रश्नों के माध्यम से विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान पाठकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
चर्चित कथाकार एस. आर. हरनोट की पुस्तक 'नदी रंग जैसी लड़की' और ‘कीलें’ का लोकार्पण हुआ।आलोचक साधना अग्रवाल ने कथाकार एस.आर. हरओट के उपन्यास और कहानी संग्रह पर विस्तार से अपनी बात रखी उन्होंने कहा कि हरनोट की रचनाओं में हिमाचल का जनजीवन और वहां का दुख-दर्द देखने को मिलता है। वरिष्ट कथाकार हरियश राय हरनोट की कहानियों में हिमाचल के जनजीवन के विश्वसनीय चित्र मिलते हैं।
लोकार्पण के इस क्रम के दौरान ही ‘मीडिया में महिलाओं की भूमिका’ लेखक संगीता अग्रवाल की किताब लोकार्पण वरिष्ठ आलोचक सुधीष पचौरी एवं अन्य उपस्थित जनों द्वारा किया गया। संगीता अग्रवाल ने जानकारी दी इस पुस्तक में न्यूज़रुम में कार्यरत एंकरों की कहानी उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की गई है। सुधीश पचौरी ने पुस्तक का स्वागत करते हुए कहा कि मीडिया माध्यम युवाओं का आकर्षित करता है लेकिन ये बहुत चुनौती भरा है इसी के साथ सुधीश पचौरी ने इसके इसके गुण दोष पर भी चर्ची की।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाठक मौजूद रहे।