‘साहित्य घर उत्सव’ में कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया

कवि रश्मि भारद्वाज का कविता संग्रह

नई दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में चल रहे विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर उत्सव’ में कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। लोकार्पित कृतियों में नोबल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का कविता संग्रह ‘चलो हवाओं का का रुख मोड़ें’, युवा कवि रश्मि भारद्वाज का कविता संग्रह ‘एक अतिरिक्त अ’, लेखक व साहित्यकार डॉ. फतेह सिंह भाटी का उपन्यास ‘कोटड़ी वाला धोरा’, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित कवि, कहानीकार व आलोचक रोहिणी अग्रवाल की पुस्तक ‘लिखती हूँ मन’ व ‘ कहानी का स्त्री समय’ का लोकार्पण हुआ वहीं पर्यावरण के लिए समर्पित वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘वाणी पृथ्वी’ द्वारा प्रकाशित पत्रकार व कथाकार कबीर संजय की पुस्तक ‘ओरांग उटान अनाथ, बेघर और सेक्स गुलाम’ शामिल है।

कैलाश सत्यार्थी का कविता संग्रह

नोबल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का कविता संग्रह ‘चलो हवाओं का का रुख मोड़ें’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर कैलाश सत्यार्थी ने संग्रह से ‘नए साल में चुप्पी तोड़’ कविता का पाठ किया और समाजसेवी और लेखक बनने के सफर को बताया और कहा कि “कविता हमारे अस्तित्व का कारक तत्व अथवा आत्मा की है।” कैलाश सत्यार्थी की कविताओं को पढ़कर पाठकों के मन में समाज के प्रति जागृति आएगी। कोई न कोई कविता आपके भीतर के बच्चे को एकबारगी गुदगुदा कर जगा ज़रुर देगी। कैलाश सत्यार्थी ने कविता संग्रह के संदर्भ में कहा कि “मुझे लगता है कि मेरी कविताएँ मेरे और मेरे भीतर के संसार की सहयात्री हैं, जो कभी- कभी बाहर नज़र आ जाती हैं।”

कई पुस्तकों का लोकार्पण

भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित युवा कवि रश्मि भारद्वाज का कविता संग्रह 'एक अतिरिक्त अ' का पोस्टर इस मौके पर लोकार्पित किया गया। मंच संचालन करतीं सरिता निर्झरा ने पुस्तक पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि "यह कविता संग्रह स्त्रीमन की कविता है।" कविता संग्रह की कविता 'शिला सी मजबूत' का काव्य पाठ किया। तत्पश्चात पाखी पत्रिका के संपादक व आलोचक पंकज शर्मा ने बताया कि  रश्मि भारद्वाज की कविताएं निश्छल प्रेम की प्रतीक हैं और कविता में शहरी जीवन जीने वाली स्त्री का संघर्ष दिखता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इनकी इन कविताओं को  विश्वविद्यालय के कोर्स भी शामिल किया गया है रश्मि भारद्वाज ने कविता संग्रह की कुछ कविताओं का काव्य पाठ भी किया । 

लेखक व साहित्यकार डॉ. फतेह सिंह भाटी का उपन्यास ‘कोटड़ी वाला धोरा’ का लोकार्पण किया गया जिसमें वक्ता साहित्यकार किशोर चौधरी ने बताया की यह पुस्तक असली रेगिस्तान से रूबरू करवाती है और यह भी बताती है कि  रेगिस्तान कैसे सांस ले रहे हैं और फिल्मों व फोटो में दिखने वाले रेगिस्तान से कितना अलग है। मंच संचालन करते हुए साहित्यकार संजय व्यास ने संस्मरण में बताया पूंजीवाद के रूप, ग्रामीण जीवन की विसंगतियां व परिस्थितियों को कैसे रुचिपूर्ण ढंग से पाठकों के सामने दिखाने का एक सफल प्रयास किया है। डॉ. फतेह सिंह भाटी ने अपनी इस कृति के बारें में कहा कि “इस संस्मरण में कई किस्सों के साथ तीन विवाहों के किस्सें हैं।” पाठकों के साथ साझा किया कि उन्होंने गांव के संस्मरण कैसे लिखने शुरु किए।   

पत्रकार एवं लेखक कबीर संजय

लगातार पर्यावरण पर बात करने वाले पत्रकार एवं लेखक कबीर संजय के ‘ओरांग उटान अनाथ गुलाम और सेक्स गुलाम’ का प्रकाशन पर्यावरण के लिए समर्पित वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘वाणी पृथ्वी’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण गया। जिसमें संचालनकर्ता राजू जायसवाल ने पुस्तक के विषय पर और प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए बताया कि ये किताब जंगल की बात करती है, जंगल के जीवों की बात करती है जो कि आज का सोचनीय विषय है। कबीर संजय ने इस किताब के माध्यम से जंगलो के प्रति अपने प्रेम को बताया है कि इस समय जंगलों की वास्तविक  परिस्थिति क्या है। वन्यजीव वैज्ञानिक डॉ. फैयाज़ ए ख़ुदसर ने प्रकृति के प्रति सचेत होने का संदेश नदी, जंगल आदि को बचाने की बात की। उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों और जंगलों के द्वारा ही मनुष्य के जीवन का निर्माण होता है। पुस्तक के लेखक कबीर संजय ने जंगल की विडंबना पर सवाल उठाते हुए बताया कि ढाई सौ साल के पेड़ को मनुष्य द्वारा कैसे केवल दो मिनट में ध्वस्त कर दिया जाता है। इस कृति के माध्यम से लोग प्रकृति के प्रति सजग हों यही इस इसे लिखने का मुख्य उद्देश्य है।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में प्रख्यात आलोचक रोहिणी अग्रवाल की कहानी आलोचना पर आधारित पुस्तक ‘कहानी का स्त्री समय’ और इसी के साथ भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘लिखती हूँ मन’ का पाठकों और वक्ताओं की मौजूदगी में लोकार्पण किया गया। संचालन करतीं डॉ सुनीता ने पुस्तक के सन्दर्भ में कहा कि "यह पुस्तक इस वर्तमान समय में स्त्री का स्वर मुखर होकर हमारे सामने आया है।" वक्ता रश्मि भारद्वाज ने फ्रेंच भाषाविदों का उदाहरण देते हुए कहा कि कविता संग्रह 'लिखती हूँ मन' की कविताएं सफ़ेद स्याही से लिखी गयी कविताएं हैं इसमे स्पन्दित होती स्त्री है। तत्पश्चात रोहिणी अग्रवाल ने कविता संग्रह की कुछ कविताओं का काव्य पाठ किया। कवि राकेश रेणु, कथाकार प्रज्ञा और कवि मदन कश्यप ने भी कविता संग्रह पर अपने विचार साझा किए और दोनों पुस्तकों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। सभी कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में पाठक मौजूद रहे।