वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की पुस्तक 'वे नायाब औरतें' का लोकार्पण व परिचर्चा

मृदुला गर्ग की संस्मरणात्मक पुस्तक 'वे नायाब औरतें'

वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की संस्मरणात्मक पुस्तक 'वे नायाब औरतें' के लोकार्पण-परिचर्चा का आयोजन 11 मई 2023 को शाम 6:00 बजे इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर, एनेक्स लेक्चर कक्ष 2, 40, मैक्समूलर मार्ग, लोधी एस्टेट, नयी दिल्ली-110003 में किया जायेगा।

वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन व भारतीय ज्ञानपीठ) से प्रकाशित चर्चित पुस्तकें ‘वे नायाब औरतें’, ‘शहर के नाम’ और ‘कठगुलाब’ हैं।

वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की पुस्तक 'वे नायाब औरतें' के लोकार्पण-पुस्तक परिचर्चा का आयोजन 11 मई को किया जायेगा। कार्यक्रम में अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार व आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल और मुख्य वक्ता वरिष्ठ कथाकार व पत्रकार जयंती रंगनाथन उपस्थित रहेंगे। पुस्तक की विवेचना भारती अरोड़ा द्वारा प्रस्तुति की जायेगी। कार्यक्रम में कृति की रचयिता मृदुला गर्ग उपस्थित होंगी, साथ ही वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन-प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी, मुख्य कार्यापालक अधिकारी अदिति माहेश्वरी-गोयल  का सान्निध्य रहेगा। कार्यक्रम का संचालन चर्चित कथाकार प्रभात रंजन द्वारा किया जायेगा।

पुस्तक के बारे में प्रख्यात आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल का कहना है कि, “वे नायाब औरतें’  निहायत पर्सनल क़िस्म की किताब है, संस्मरण, आत्मकथा, डायरी का मिला-जुला रूप, लेकिन इस निहायत पर्सनल का सामाजिक-ऐतिहासिक से, देशकाल से जो रिश्ता है, उस पर लेखिका की पैनी, संवेदनशील निगाह लगातार बनी हुई है। आज़ादी, उसके बाद का राष्ट्रनिर्माण का आदर्शवादी जज़्बा, फिर मोहभंग, समाज में बढ़ती दूरियाँ, मनों में बढ़ती किरचें और दरारें-पंजाब में अलगाववाद, उसकी भयावह परिणतियाँ, उदारीकरण, धीमे ज़हर की तरह फैलता सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, साथ ही हाशिए पर फेंक दिये गये लोगों का पुरज़ोर आत्म-रेखांकन कैसे उन लोगों की ऐन रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को प्रभावित करता है, जिनका उनके अपने लेखे “पॉलिटिक्स से कोई मतलब ही नहीं।”

मृदुला गर्ग की पुस्तक 'वे नायाब औरतें'

विख्यात कवि और स्वतन्त्र पत्रकार एवं लघु पत्रिका 'पुनश्च' के मनस्वी सम्पादक दिनेश द्विवेदी ने पुस्तक की प्रशंसा में कहा है कि, “मृदुला गर्ग की क़िताब को हम संस्मरण-स्मरण-रेखाचित्र या आत्मकथा जैसे रवायती फ़ॉर्मेट में फ्रेमबद्ध नहीं कर सकते। क्योंकि इसमें बे-सिलसिलेवार, लातादाद 'यादों के सहारे चल रही आपबीती है'- जिसका हर पात्र या उसके तफ़सील का सिरा एक मुकम्मल क़िस्सागोई का मिज़ाज रखता है। यह उनका एक ऐसा अनूठा प्रयोग है जो अब तक के सारे घिसे-पिटे अदब की आलोचना के औज़ारों को परे कर मौलिक विधा के रूप में नज़र आता है।”

वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन-प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा ने कहा कि “हमारे प्रकाशन के 60वें वर्ष में मृदुला जी को प्रकाशित करना बेहद गर्व का विषय है। उनकी लेखन शैली ने पीढ़ियों को समृद्ध किया है।”

मृदुला गर्ग के बारे में :

वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन व भारतीय ज्ञानपीठ) से मृदुला गर्ग की प्रकाशित चर्चित पुस्तकें ‘वे नायाब औरतें’, ‘शहर के नाम’ और ‘कठगुलाब’ हैं। मृदुला गर्ग के रचना-संसार में सभी गद्य विधाएँ सम्मिलित हैं। उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, यात्रा साहित्य, स्तम्भ लेखन, व्यंग्य, संस्मरण, पत्रकारिता तथा अनुवाद। उनका कथा-साहित्य, कथ्य और शिल्प के अनूठे प्रयोग के लिए जाना जाता है। व्यक्ति व समाज के मूल द्वन्द्व उसमें एकमएक हो जाते हैं और अपनी विडम्बनाओं में गहराई तक परखे जाते हैं। भाषा की लय और गत्यात्मकता उसे अत्यन्त पठनीय बनाती है। मृदुला गर्ग की कृतियों ‘कठगुलाब’ उपन्यास को ‘व्यास सम्मान’ 2004, ‘मिलजुल मन’ को साहित्य अकादेमी पुरस्कार (2013), राम मनोहर लोहिया सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान 2015 से सम्मानित किया जा चुका है।  इसके अलावा लेखन के लिए साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादमी दिल्ली (1988), साहित्य भूषण, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान (2002), महाराज वीरसिंह पुरस्कार, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद सहित कई सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है।

अन्य उपलब्धियाँ : मृदुला गर्ग युगोस्लाविया, जर्मनी, इटली, डेनमार्क, जापान, अमेरीका, चीन व रूस आदि देशों के सांस्कृतिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों द्वारा आमन्त्रित हुई हैं। उन्होंने वहाँ अपना रचना पाठ किया है व समकालीन साहित्यिक मुद्दों पर व्याख्यान दिये हैं। ये व्याख्यान तथा अंग्रेज़ी में लिखे अन्य चिन्तनपरक लेख देशी-विदेशी पत्रिकाओं व संचयनों में संकलित हैं।